गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीपीएससी अभ्यर्थियों को मिला गुरु रहमान का समर्थन
Bihar BPSC Protest: बीपीएससी के अभ्यर्थियों द्वारा गर्दनीबाग में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है. सोमवार को गुरु रहमान ने बीपीएससी के अभ्यर्थियों को अपना समर्थन दिया. उन्होंने अभ्यार्थियों की हालत पर चिंता जताई और कहा कि यह आंदोलन न्याय के लिए है और इसे किसी भी कीमत पर दबाया नहीं जा सकता है.
पटना: पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) अभ्यर्थियों के सत्याग्रह का आज छठा दिन है. परीक्षा रद्द करने और न्यायसंगत प्रक्रिया की मांग को लेकर हजारों अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस आंदोलन को और मजबूती तब मिली जब जाने-माने शिक्षाविद गुरु रहमान धरना स्थल पर पहुंचे और अभ्यर्थियों को अपना समर्थन दिया.
जानकारी के लिए बता दें कि गुरु रहमान ने धरना स्थल पर पहुंचकर अभ्यर्थियों से बातचीत की और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उनके साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि आयोग को परीक्षा रद्द करनी ही होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर भरोसा है कि वे अभ्यर्थियों की मांगों को गंभीरता से सुनेंगे और समाधान निकालेंगे. गुरु रहमान ने अभ्यर्थियों के संघर्ष को सराहा और कहा कि यदि पूरी परीक्षा रद्द नहीं होती, तो नॉर्मलाइजेशन की समस्या और गंभीर हो जाएगी. उन्होंने अभ्यर्थियों से संयम बनाए रखने की अपील की, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि जब तक न्याय नहीं मिलता, यह लड़ाई जारी रहेगी.
साथ ही गुरु रहमान ने उन अभ्यर्थियों से भी मुलाकात की, जो आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. उन्होंने उनकी हालत पर चिंता जताई और कहा कि यह आंदोलन न्याय के लिए है और इसे किसी भी कीमत पर दबाया नहीं जा सकता. अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ने की खबरें आ रही हैं, लेकिन वे अपनी मांगों पर अडिग हैं. धरना स्थल पर मौजूद एक अभ्यर्थी ने कहा कि हमारी लड़ाई सिर्फ हमारे हक की नहीं है, यह आने वाली पीढ़ी के लिए है. यदि आज हम चुप रहे तो कल और भी छात्रों को अन्याय सहना पड़ेगा.
बता दें कि गर्दनीबाग का यह धरना बिहार में युवाओं के आंदोलन का प्रतीक बन चुका है. राज्य सरकार और आयोग पर इस स्थिति का समाधान निकालने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उनकी आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और जल्द ही उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाया जाएगा. अब देखना यह है कि यह आंदोलन सरकार और आयोग को उनके फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कितना मजबूर करता है और अभ्यर्थियों को न्याय कब मिलता है.
इनपुट- निषेद कुमार
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