पटना : Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य यानी कौटिल्य ने अपने नीति शास्त्र में मानव जीवन के जीने, उसे संवारने, समाज के प्रति उसके नजरिए, देश के प्रति उसका व्यवहार और आत्मीयता को लेकर कई बातें लिखी हैं. इनमें हर बात को अगर आदमी आत्मसात कर ले तो वह दुनिया के बंहतरीन इंसानों में से एक बन जाएगा. आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन में सेहत, रिश्ते और धन की भी व्याख्या की है और बताया है कि एक सामान्य आदमी के जीवन में इसका क्या महत्व है. 


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आचार्या चाणक्य का मानव के सेहत के बारे में विचार 
चाणक्य ने लिखा कि स्वास्थ्य ही मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी कुंजी है. ऐसे में अगर व्यक्ति स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन, स्वस्थ विचारों का मालिक है तो वह बड़ी से बड़ी समस्या से भी आसानी से निपट सकता है. इसलिए सेहत पर ध्यान देना मानव की पहली सोच होनी चाहिए. चाणक्य की मानें तो अपने को स्वस्थ रखने के लिए आप खाने के दौरान अल्प जल ग्रहण करें, खाने के तुरंत बाद जल एकदम ग्रहण ना करें क्योंकि यह जहर के समान है. खाना खाने के एक घंटे बाद ही पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद बताया.


चाणक्य की मानें तो स्वस्थ रहने और रोगों को दूर भगाने के लिए सप्ताह में एक बार शरीर की मालिश जरूर करना चाहिए, इससे शरीर में जमा अंदर की गंदगी बाहर आ जाती है, शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं. शरीर स्वस्थ बनता है. ऐसे में मालिश के बाद स्नान करना ना भूलें क्योंकि इसके बाद ही आपका मन और तन पवित्र महसूस करेगा.  


चाणक्य कहते हैं कि जब तक आप स्वस्थ हैं स्थितियां आपके नियंत्रण में है, शरीर आपका साथ देती रहती है. आपको इस दौरान आत्म साक्षात्कार कर लेना चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन से ही आप आध्यात्म को पा सकते हैं, मरने के बाद आप कुछ नहीं कर सकते हैं. 


रिश्तों के बारे में चाणक्य के विचार 
रिश्तों में विश्वास को आचार्य चाणक्य ने बड़ी अहमियत दी है. चाणक्य के अनुसार रिश्तों में विश्वास हो तो जीवन की कठिन घड़ी में भी आपको सफलता प्राप्त होती है. अगर रिश्तों में खटास नहीं चाहते और संबंध अगर प्रेम का हो तो इसमें अभिमान, अहंकार की जगह नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही वह कहते हैं कि रिश्ते में स्वार्थ और दिखावे से बचना चाहिए. 


रिश्तों में एक दूसरे के प्रति सम्मान और आजादी का भाव होना बहुत जरूरी है, ये दोनों ही रिश्तों में ना हों तो रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं. जहां परिवार में अपशब्दों की बढ़ोतरी हो जाए, रिश्तों में गाली गलौज और अपशब्दों की भरमार हो, पति-पत्नी के बीच संबंधों में मधुरता समाप्त हो जाए, परिवार का माहौल बिगड़ रहा हो तो ऐसे में ऐसे लोगों का त्याग कर देना चाहिए. अपने सही मायने में जो शुभचिंतक हैं, उन्हें हमेशा महत्व देना चाहिए. 


धन-संपत्ति के बारे में कौटिल्य के विचार 
रुपया, धन, संपत्ति आपको सम्मान दिलाता है और विपरित परिस्थितियों से लड़ने में सामर्थवान भी बनाता है. ऐसे में चाणक्य कहते हैं की दोस्त और पत्नी की परीक्षा धन के समाप्त हो जाने पर ही कर सकते हैं. अगर तब वह आपका साथ नहीं छोड़ते हैं तो समझें वह लोभी नहीं आपके सच्चे मित्र हैं. 


धन की स्थिति बेहतर हो उसके लिए आपको अपना लक्ष्य तय करना होगा. क्योंकि बिना लक्ष्य के विजय संभव नहीं है. हमेशा बुरे दिनों के लिए धन इकट्ठा करें. गरीबी में जब कोई साथ नहीं होगा तो यही धन आपके काम आएगा. गरीब और गरीबी दोनों जहर के बराबर है ऐसे में धन को संभलकर खर्च करना चाहिए. 


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