Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति, नीति शास्त्र या राजनीति शास्त्र के सिद्धांत दिए हैं. ये सिद्धांत हमेशा से सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं. जिसे लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. चाणक्य ने जहां लोगों के जीवन से जुड़े हर पहलू पर अपनी बात रखी है वहीं उन्होंने लोगों को जीलन जीने का सलीका भी अपने नीति शास्त्र में बताया है. चाणक्य ने किसी व्यक्ति को अपना जीवन कैसे बेहतर बनाना है इसके बारे में कई बातें बताई है. ऐसे में आप जीवन में आ रही छोटी-बड़ी हर समस्या का समाधान इसके जरिए कर सकते हैं. 


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चाणक्य मानते हैं कि देश के युवा ही देश का भविष्य हैं और राष्ट्र के निर्माण और विनाश दोनों ही स्थिति उनके साथ ही बनती है. ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र की दिशा और दशा तय करने में युवाओं का अहम रोल है. ऐसे में अगर युवाओं का भविष्य बर्बद हुआ तो राष्ट्र का भविष्य बर्बद हो जाएगा. अग युवा राह भटक गए तो समाज और राष्ट्र का निर्माण नहीं बल्कि उसका विनाश होना तय है. ऐसे में युवाओं का भटकाव युवावस्था में होता है ऐसे में कई बातों पर युवा ध्यान दें तो वह अपना भविष्य भी संवार सकते हैं और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. अगर युवा जवानी में कुछ गलतियों को करने से बचें तो उनका बुढ़ापा बेहतरीन गुजरेगा. 


संगत
चाणक्य कहते हैं कि गलत संगती में पड़कर आप अपने मन, क्रम, वचन सबके पथ से भटक जाते हैं. आपका यह भटकाव समाज और राष्ट्र के साथ आपके भविष्य के लिए भी विनाशकारी है. ऐसे में अच्छी संगती में रहकर युवा अपने भविष्य के साथ राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं. बता दें कि बुरी संगती में पड़े युवा कामवासना, व्यर्थ के लड़ाई-भगड़े, नशे की लत आदि के शिकार हो जाते हैं और यह उनको उनके लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में बाधा डालता है. ऐसी लतों में पड़े युवा इपनी सोचने समझने और विचार करने की शक्ति खो देते हैं और सफलता इनसे कोसों दूर चली जाती है. ऐसे में अगर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित हो तो युवाओं का भविष्य संवरने के साथ उनका बुढ़ापा भी अच्छे से बीतेगा. 


आलस्य
एक युवा अगर परिश्रमी हो तो वह अपने श्रम से अपने भविष्य का निर्माण कर लेगा, लेकिन अगर वह आलस्य का शिकार हो तो उसकी जिंदगी में तूफान खड़ा हो जाएगा. सफलता उससे कोसों दूर चली जाएगी और वह राष्ट्र के लिए बोझ जैसा हो जाएगा. आलस्य मनुष्य का ऐसा शत्रु है जो उसके मार्ग में तमाम बाधाएं डालता रहता है. ऐसे में किसी को भी आलस्य करने से बचना चाहिए ताकि वह अपने भविष्य को संवार सके और इसके जरिए राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सके. कहते हैं आलस्य से भरे मनुष्य को विद्या नहीं मिलती और विद्या के बिना धन की प्राप्ति मुश्किल है. 


क्रोध
अगर युवा अपने क्रोध पर काबू पा ले तो वह कई बिगड़ते काम भी बना सकता है. ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि जवानी में क्रोध आना सामान्य सी बात है लेकिन उसे रोके रखना सबसे जरूरी है. ऐसे में अगर गुस्से पर विजय प्राप्त कर लिया जाए तो सफलता की राह आसान हो जाती है. क्योंकि क्रोध बुद्धि को भ्रष्ट करता है और आपको भटकाकर गलत रास्ते पर ले जाता है. 


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