Chandra Grahan 2023: शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण के चलते खीर बनाने के लिए कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें हैं. इस बार का चंद्र ग्रहण भारत में आधी रात को होगा और इसका सूतक दोपहर में शुरू होगा, जिसका असर खीर बनाने पर पड़ेगा. इसलिए खीर बनाने की प्रक्रिया ग्रहण समाप्त होने के बाद ही शुरू करनी चाहिए. यह एक ऐसा ग्रहण है जो नौ साल बाद हो रहा है.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार बता दें कि शरद पूर्णिमा का महत्व ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष माना जाता है. इस दिन चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि पर होगा. इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से खिलकर रहेगा और इसे आसमान से आने वाला अमृत माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया है. खीर बनाने के लिए गाय के दूध में सूतक काल शुरू होने से पहले कुशा डालना चाहिए और उसे ढककर रखना चाहिए ताकि सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहे. खीर बनाने की प्रक्रिया ग्रहण समाप्त होने के बाद शुरू होती है और खीर को चंद्रमा की चांदनी में रखने के लिए खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए.


शरद पूर्णिमा का महत्व भी अद्वितीय है. इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और उसकी चांदनी में अमृत की वर्षा होती है. पूर्णिमा की रात को कोजागरा की रात भी कहा जाता है, जिसमें लोग जागते रहते हैं. शरद पूर्णिमा की रात बनी खीर को अमृत के रूप में माना जाता है और इसके सेवन से आरोग्य सुख मिलता है. खीर शरीर को ठंडा रखती है, ग्रीष्म ऋतु की गर्मी को शांत करती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का महत्व है और इसे रात में खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए. इससे हमें औषधीय गुण मिलते हैं और हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहता है.


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