पटनाः Chitragupta Puja: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा की जाती है. इस बार चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व 6 नवंबर 2021, शनिवार को है. आम तौर पर भी दिवाली के दो दिन बाद चित्रगुप्त भगवान की पूजा की जाती है. चित्रगुप्त पूजा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्य के पापों का लेखा जोखा करते हैं. लेखन कार्य से भगवान चित्रगुप्त का जुड़ाव होने के कारण इस दिन कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा की जाती है.


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स्वर्ग-नर्क तय करने वाले देवता
चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं. कहते हैं किसी भी प्राणी के पृथ्वी पर जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके कर्मों को अपने पुस्तक में लिखते रहते हैं, उनकी लेखनी के आधार पर ही व्यक्ति को स्वर्ग और नर्क की प्राप्ति होती है. चित्रगुप्त कायस्थ समाज के ईष्ट देवता माने जाते हैं. चित्रगुप्त जी प्राणियों के पाप पुण्य का लेखा-जोखा तैयार करके हैं और इसी आधार पर जीवात्मा को फल प्रदान करते हैं. चित्रगुप्त जी की ही लेखनी के जरिए ही यह तय होता है कि आत्मा स्वर्ग जाएगी या फिर नर्क के कष्ट झेलेगी. हिंदू धर्म में यमराज के खास सहयोगी चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है. इस दिन भाई दूज और यम द्वितीया मनाते हैं. इस साल यम द्वितीया 26 अक्टूबर 2022  को मनाई जाएगी. 


कलम दवात की होती है पूजा
पुराणों के अनुसार इस दिन यम देव अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे. वहीं इस दिन मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त की उपासना का विधान है साथ ही लेखनी, दवात और पुस्तकों की भी पूजा होती है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगी. द्वितीया तिथि का समापन 27 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर होगा.
चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 18 - दोपहर 03 बजकर 33 (26 अक्टूबर 2022)


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