BPSC Protest: दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, इधर बीपीएससी अभ्यर्थियों ने पटना में गदर कर दिया
BPSC Protest: गांधी मैदान में छात्रों के सत्याग्रह को लेकर एक दिन पहले से ही पटना में हलचल तेज थी. पुलिस प्रशासन भी हालात पर निगरानी रख रहा था. उधर, बीपीएससी अभ्यर्थियों को राजनीतिक दलों का बैकअप मिल जाने से उनका हौसला बुलंद हो गया था. उसके बाद जब टकराव की स्थिति बनी तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
BPSC Protest: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली गए हुए हैं. इधर, बीपीएससी अभ्यर्थियों ने रिएग्जाम की मांग को और बुलंद करते हुए पटना में गदर काट दिया. गांधी मैदान में सुबह से अभ्यर्थियों का जमावड़ा शुरू हो गया था. अभ्यर्थी आते गए और कारवां बड़ा बनता चला गया. गांधी मैदान में सत्याग्रह करने के बाद बीपीएससी अभ्यर्थियों का कारवां मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए आगे बढ़ा, जिसके बाद पुलिस से उनका टकराव बढ़ता चला गया. हालात यहां तक आ गए कि सप्ताह में दूसरी बार पटना पुलिस ने अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज कर दिया. यहां तक कि अभ्यर्थियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का भी इस्तेमाल कर दिया. इससे अभ्यर्थियां में अफरातफरी मच गई.
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बताया जा रहा है कि बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव ने अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल को कल सोमवार को मिलने के लिए बुलाया और छात्रों में इस बात पर सहमति भी बनती दिखी थी, लेकिन शाम होते होते राजनीति गरमा गई और अभ्यर्थियों ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया. जैसे ही अंधेरा हुआ, अभ्यर्थी मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर आंदोलन की आक्रामकता को जाहिर करने लगे.
हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया. पुलिस के लाठीचार्ज करने के बाद कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा और कई अभ्यर्थी घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
हालांकि, पटना सेंट्रल की एसपी स्वीटी सहरावत ने कहा, अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज नहीं किया गया है, उन्हें तितर बितर करने के लिए केवल वाटर कैनन का प्रयोग किया गया है. छात्रों को बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से धक्कामुक्की की. आंदालन की जगह को खाली कराया जा रहा है.
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एसपी ने यह भी कहा, अभ्यर्थियों को लीड कर रहे प्रशांत किशोर जेपी गोलंबर पर उन्हें जमा करके निकल गए थे और वहां बड़ी संख्या में लोग फंस गए थे. छात्रों से हटने की अपील की गई पर वे नहीं माने तो उन पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया.
इससे पहले अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था, एक दिन के नारे लगाने से कुछ नहीं होगा. सालों से यहां छात्रों का जीवन बर्बाद हो रहा है. लंबी लड़ाई लड़नी होगी और इसे अंजाम तक पहुंचाना होगा. प्रशांत किशोर ने इसके लिए दिल्ली के किसान आंदोलन का भी उदाहरण दिया.