पटना:  कोविड-19 संक्रमण का प्रभाव कई वर्षो तक रह सकता है. ऐसा कोविड रोगियों के इलाज में शामिल डॉक्टरों ने कहा है. कोविड के 90 प्रतिशत से अधिक मामलों को हल्का माना जाता है और कई लोगों में तो संक्रमण का पता भी नहीं चलता. कई लोग खांसी, हल्का बुखार, गले में खरास के साथ एक या दो हफ्ते में ठीक हो जाते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हालांकि, दुनिया भर में किए जा रहे अध्ययनों से संकेत मिलता है कि लंबे समय तक, जिसे लांग कोविड कहा जाता है, काफी नुकसान पहुंचा सकता है.


संक्रमण कम होने पर नहीं टलेगा खतरा?
कोविड मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक, संक्रमण कम होने के बाद भी यह साफ नहीं है कि मानव शरीर से दुष्प्रभाव पूरी तरह से गायब हो गए हैं.


हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों को पहुंचा सकता है नुकसान
लंबे समय तक चलने वाले कोविड के लक्षण, कुछ लोगों में हल्के संक्रमण के साथ भी होते हैं, और यहां तक कि उन लोगों में भी कोई लक्षण नहीं पाए गए. यह हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.


एसएलजी अस्पतालों के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. पी रंगनाधम ने बताया कि कोविड संक्रमण से कई लोगों में इंसेफेलाइटिस तक हो गया है, लेकिन कुछ रोगियों में मेनिन्जाइटिस भी देखा गया है.


कोविड मेनिनजाइटिस सभी कोविड जटिलताओं का एक प्रतिशत है, जबकि यह 10 प्रतिशत न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को भी जन्म देता है. मधुमेह, उच्च रक्तचाप और यहां तक कि मोटापे जैसी बीमारी वाले लोग इससे प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं और यह चिंता का एक बड़ा कारण है.


न्यूरोलॉजिस्ट डॉ मनोज वासिरेड्डी ने कहा, 'लांग कोविड के मामले बेहद परिवर्तनशील हैं, जबकि कुछ अनुमान बताते हैं कि यह दो प्रतिशत से अधिक लोगों में देखा गया है.' लक्षणों की गंभीरता भी लोगों के बीच अलग-अलग हो सकती है. जबकि कुछ लोग लगातार खांसी से परेशान रह सकते हैं, अन्य में लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि वे काम पर नहीं लौट सकते.


सेंचुरी हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए. प्रीतम रेड्डी के अनुसार, दिमाग और रीढ़ की हड्डी को मेनिन्जाइटिस या इन्सेफेलाइटिस के रूप में प्रभावित करने वाला कोविड खतरनाक है, और अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है.


कोविड संक्रमण आपके मस्तिष्क को कैसे प्रभावित कर सकता है, इस पर डॉ. प्रवीण कुमार यदा, सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, केआईएमएस अस्पतालों ने कहा, 'कुछ आकलनों में पाया गया है कि जो लोग कोविड संक्रमण से उबर चुके हैं, उनके मस्तिष्क की साइज में कमी पाई गई; और यहां तक कि कमी भी थी गंध से संबंधित मस्तिष्क के क्षेत्रों में ग्रे मैटर की मोटाई, संक्रमण की गंभीरता के बावजूद, यह उम्र बढ़ने के 10 साल के समान था. इस बीमारी से जुड़ी एक और गंभीर बात यह है कि संक्रमण के कारण मस्तिष्क में छोटी ब्लड वेसेल्स अवरुद्ध हो जाती हैं.'


बता दें कि भारत में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मंगलवार को पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से संक्रमण के मामलों में मामूली गिरावट के साथ 14,830 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि इससे एक दिन पहले 16,866 मामले दर्ज किए गए थे. 


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है. इसी अवधि में देश ने 36 और कोविड-19 मौतों की सूचना दी है, इसी के साथ देशभर में इस बीमारी से मरनेवालों की संख्या बढ़कर 5,26,110 हो गई है.


इस बीच, देश में सक्रिय मरीजों की संख्या मामूली रूप से घटकर 1,47,512 हो गई है, जो देश के कुल पॉजिटिव मामलों का 0.34 प्रतिशत है.  पिछले 24 घंटों में 18,159 मरीजों के ठीक होने के बाद कुल संख्या 4,32,46,829 हो गई. नतीजतन, भारत की रिकवरी रेट 98.47 प्रतिशत है.


इस बीच, भारत की दैनिक पॉजिटिविटी रेट तेजी से घटकर 3.48 प्रतिशत हो गई है, जबकि देश में साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट वर्तमान में 4.53 प्रतिशत है.


(आईएएनएस)