Patna: कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर ने देश भर में तबाही मचायी और इससे निपटने में अभी लोग लगे ही हैं कि एक नए वेरिएंट ने परेशानी बढ़ा दी है. कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट दूसरे लहर के तौर पर सबके सामने आया लेकिन अब इसमें बदलाव आ गया है और यह डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) के रूप में सामने आया है. 


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सरकार ने इस वेरिएंट को चिंताजनक बताया है यानि मैटर ऑफ कंसर्न कहा है. हालांकि, बिहार से बाहर जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के लिए भेजे गए सैंपल में यहां कोई मामला अब तक नहीं दिखा है, लेकिन और भी सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे जा रहे हैं. 


दरअसल वायरस के किसी वेरिएंट को तब चिंताजनक बताया जाता है जब वह अधिक संक्रामक हो और गंभीर तौर पर संक्रमित को बीमार करने की क्षमता रखता हो. डेल्टा प्लस वैरिएंट मामले में जो तथ्य सामने आये हैं वह चिंताजनक है, यह वैरिएंट न सिर्फ ज्यादा तेजी से संक्रमित करता हैं बल्कि ज्यादा घातक भी है. 


विषेशज्ञों के अनुसार डेल्टा प्लस वायरस बहुत तेजी से फैलता है, डेल्टा प्लस वैरिएंट सबसे पहले इस वर्ष मार्च महीने में ही यूरोप में आया और 13 जून को पब्लिक डोमेन में लाया गया. भारत में यह स्वरूप डेल्टा वैरिएंट बी.1.617.2 से परिवर्तित होकर डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है. 


पटना एम्स के नोडल अधिकारी डॉ. सजीव कुमार के मुताबिक डेल्टा प्लस वेरिएंट न सिर्फ खतरनाक है बल्कि यह सम्भलने का मौका भी कम देता है और वैक्सीनेशन इस वेरिएंट पर कितना प्रभावी होगा यह भी अभी स्पष्ट नहीं है. यह माना जा रहा है कि तीसरी लहर डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से ही आएगी और इसको लेकर बिहार में युद्ध स्तर पर एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं और अग्रिम तैयारी के तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं.


इसी कड़ी में एम्स पटना (Patna AIIMS) में राज्य के सभी जिले से चिकित्सक और नर्स को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे किसी भी आपात स्थिति से निपटने में स्वास्थ्य विभाग सक्षम हो. बिहार से पहले 15 सैंपल डेल्टा प्लस वैरिएंट की चिंता को लेकर भुवनेश्वर भेजा गया. लेकिन उन सैंपल में यह वैरिएंट नहीं पाया गया. मंगलवार को फिर से अलग अलग क्षेत्रों के सैंपल इसके लिए भेजे गए हैं. 


एक ओर बिहार सरकार स्वस्थ विभाग चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी को प्रशिक्षित कर कोरोना संक्रमण के तीसरे संभावित वेव के लिए तैयारी कर रही है तो दूसरी ओर जांच और लैब स्थापित कर भी इस दिशा में अग्रिम कदम उठाए जा रहे हैं. जिससे पटना में ही जीनोम सिक्वेन्सिंग हो सके और वायरस में किसी तरह का बदलाव तो यहां ही उसकी जांच कर वस्तुस्थिति मालूम हो जाए और समय से उचित कदम उठाने में मदद मिले, इसके लिए पटना के आइजीआइएमएस (IGIMS) में मोलकुलर जेनेटिक लैब स्थापित कर दिया गया है और यहां ट्रायल भी शुरू हो गया है. 


इस नव स्थापित लैब में कोरोना वायरस के नए नए वेरिएंट की जांच की जा सकेगी और राज्य के अलग अलग क्षेत्रों में कोरोना वायरस (Coronavirus) के स्वरूप में कोई बदलाव हो रहा है तो उसका जल्द और स्थानीय स्तर पर ही मालूम चल जायेगा. 


हालांकि, अभी तक बिहार में डेल्टा प्लस वेरिएंट का कोई भी मामला सामने नहीं. लेकिन बचाव सिर्फ एहतियात ही है और इसके लिए जारी किये गए गाइडलाइन का पालन बेहद जरुरी है. 


डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि पटना में जीनोमिक्स लैब शुरू हो जाने से कई फायदे होंगे वायरस के जीनोम सिक़्वेन्सिंग से कोई भी वेरिएंट कितना गंभीर होगा और इसका बीमारी पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह जाना जा सकेगा और राज्य के अलग अलग हिस्सों के सैंपल की जांच कर ज्यादा सैंपल जांच भी संभव हो पायेगा और उसकी गंभीरता के आधार पर राज्य सरकार समय से नीतिगत निर्णय भी ले सकेगी, जिससे यह लोगो के जीवन रक्षक में सहायक साबित हो सकेगा.


उन्होंने कहा कि अभी यहां ट्रायल चल रहा है. राज्य सरकार ने 17 मई को केंद्र सरकार को इसे मान्यता देने के लिए पत्र लिखा है और केंद्र सरकार से यहां चल रहे ट्रायल की जांच पड़ताल के बाद इसपर मुहर लगा देगी और इसके बाद लैब करना शुरू कर देगा.