पटना: Daily Panchang 6 October: आज का पंचांग आपके लिये शुभ तिथि और मुहूर्त लेकर आया है. आज गुरुवार है, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरू बृहस्पति का दिन माना जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है. गुरूवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन सच्चे दिल से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं. उनसे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं. जानिए पंचांग में क्या है खास, बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य- 


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आज का पंचांग.
अश्विन - शुक्ल पक्ष - एकादशी तिथि 09.40 बजे तक
इसके उपरांत द्वादशी तिथि - गुरुवार 
नक्षत्र- धनिष्ठा नक्षत्र महत्वपूर्ण योग - शूल योग
चन्द्रमा का मकर के उपरांत कुंभ राशि पर संचरण 
आज का शुभ मुहूर्त - 11.51 बजे से 12.38 बजे तक 
राहु काल- 01.42 बजे से 03.10 बजे तक
त्योहार - पापाकुंशा एकादशी 


पापांकुशा एकादशी
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसे में आज पापांकुशा एकादशी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापरुपी हाथी को व्रत के पुण्यरुपी अंकुश से भेदने के कारण इस तिथि का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा. इस दिन मौन रहकर भगवान विष्णु की आराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए. इस व्रत के प्रभाव से व्रती बैकुंठ धाम प्राप्त करता है. यह पूजा भगवान विष्णु को समर्पित है. 


यह व्रत मोक्ष का मार्ग खोलता है. शास्त्रों के अनुसार इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से जीवन में किए गए पापों का नाश हो जाता है. इस व्रत में रात के वक्त सत्यनारायण भगवान का कीर्तन करना लाभकारी माना जाता है. इसे करने से कार्यों में सिद्धि मिलती है. यदि आप भगवान श्री हरि की भक्ति अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करना चाहते है, तो आप पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा पढ़ सकते हैं.


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज विष्णु भगवान के समक्ष पीले वस्त्र पर पांच पीले फूल, पीले चावल, और एक पीले रंग का फल रखकर भगवान विष्णु को अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें. एक घी का दीपक जरूर प्रज्वलित करें. 


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