पटनाः Smell of Death: मृत्यु जीवन का सत्य है. जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु होनी ही होती है. किसी की मौत कब होने वाली है, या किसी का जीवन कितना बचा हुआ है, इसे लेकर आज के वैज्ञानिक युग में भी कुछ भी ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता है, लेकिन आयुर्वेद, प्राचीन धार्मिक ग्रंथ और पौराणिक आख्यान ये बताते हैं कि मौत से पहले क्या-क्या होने लगता है. आयुर्वेदानुसार मृत्यु से पहले इंसान के शरीर से अजीब-सी गंध आने लगती है. इसको  मृत्यु गंध भी कहा जाता है. यह किसी रोगादि, हृदयाघात, मस्तिष्काघात की वजह से उत्पन्न होती है. यह गंध किसी मुर्दे की गंध की तरह ही होती है. 


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क्या कुत्ते सूंघ सकते हैं मौत
बहुत समय तक अगर आप किसी अंदरुनी रोग को टालते रहेंगे तो उसका परिणाम यह होता है कि भीतर से शरीर लगभग मर चुका होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इटली के वैज्ञानिकों के अनुसार मरते वक्त मानव शरीर में से एक खास किस्म की बू निकलती है. इसे मौत की बू कहा जा सकता है. मगर मौत की इस बू का पता दूसरे लोगों को नहीं होता. वैज्ञानिकों का ऐसा  मानना है कि कुछ जानवर, खासकर कुत्ते और बिल्लियां अपनी सूंघने की शक्ति के बल पर मौत की इस गंध को सूंघने में समर्थ होते हैं, लेकिन सामान्य मनुष्यों को इसका पता नहीं चल पाता है. मृत्यु गंध का आभास होने पर ये जानवर अलग तरह की आवाज निकालते हैं. इसीलिए भारत में कुत्ते या बिल्ली के रोने को मौत से जोड़ा जाता  है.


गरुण पुराण में भी है जिक्र
जिस व्‍यक्ति के शरीर से बकरे और मुर्दे जैसी गंध आने लगे और जिसे दीपक के जलने की गंध आनी बंद हो जाए, तो ऐसे व्‍यक्ति की आयु 15 दिन से अधिक शेष नहीं रहती. इस तरह की स्थिति आने पर व्यक्ति के योग साधना में मन लगाना चाहिए. इससे मृत्यु के समय कष्ट नहीं होता है और उत्तम गति प्राप्त होती है. मरने से पहले व्‍यक्ति को कई तरह के संकेत मिलते हैं. मृत्‍यु के कई महीने पहले से ही उसके शरीर के कई अंगों पर असर दिखने लगता है. व्‍यक्ति की जीभ काम करना बंद कर देती है, उसे स्‍वाद आना कम होने लगता है. बोलने में दिक्‍कत होती है. गरुड़ पुराण के मुताबिक मरने से 24 घंटे पहले व्‍यक्ति को आइने में अपना चेहरा नजर आना भी बंद हो जाता है. यहां तक कि उसे तेल या पानी में भी अपना चेहरा नहीं दिखता है. इसके अलावा मरने से कुछ समय पहले व्‍यक्ति के शरीर से अजीब गंध भी आने लगती है. 


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