FIR against education minister chandrashekar: मानस पर टिप्पणी करके फंसे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, दिल्ली में FIR दर्ज
FIR against education minister chandrashekar: सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल गुरुवार को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दी. अपनी शिकायत में उन्होंने कहा, `बिहार के शिक्षा मंत्री ने भड़काऊ, अपमानजनक और रामचरित मानस जैसी पवित्र पुस्तक पर बयान देकर हिंदुओं की आस्था को आहत किया है.
पटनाः FIR against education minister chandrashekar: नालंद मुक्त विश्वविद्यालय में रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर मुश्किलों में फंस गए हैं. शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में दिल्ली में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. दिल्ली के एक वकील ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस में उनके खिलाफ शिकायत दी है. शिकायत में कहा गया है कि मंत्री ने भड़काऊ बयान दिया है. उन्होंने आस्था की भावना को भी आहत किया है. शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने हैं. उन्होंने दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को मामले की शिकायत दी है.
सख्त कार्रवाई की मांग
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल गुरुवार को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दी. अपनी शिकायत में उन्होंने कहा, 'बिहार के शिक्षा मंत्री ने भड़काऊ, अपमानजनक और रामचरित मानस जैसी पवित्र पुस्तक पर बयान देकर हिंदुओं की आस्था को आहत किया है. उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और B, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, ये बहुत गंभीर प्रकृति का अपराध है. विनीत ने शिकायत दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को दी है. उन्होंने शिक्षामंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.
राजद ने किया बचाव
शिक्षा मंत्री के बयान के बाद से जहां सियासत में उबाल है. उनके खिलाफ लगातार बयानबाजी जारी हैं. दूसरी तरफ सीएम ने मामले से अनभिज्ञता जताई है तो वहीं राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मंत्री के बयान का बचाव किया है. राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि 'मेरा मानना है कि शिक्षा मंत्री ने अपना बयान देते समय मानस के कुछ हिस्सों के लिए दो अन्य पुस्तकों का भी जिक्र किया है. ऐसी पुस्तकें चाहे कितनी भी पवित्र क्यों न हों, उस समय की पीढ़ियों की छाप ले जाती हैं. जिनमें इनका संकलन किया गया था. असल में सभी धर्मों की पुस्तकों में कुछ अस्पष्ट क्षेत्र हैं, उनका इरादा केवल उन क्षेत्रों को संदर्भित करना था और कुछ नहीं.'