Dhanteras Puja Vidhi: आज मना रहे हैं धनतेरस तो जानिए पूजा विधि, शाम को इस मुहूर्त तक कर लें पूजन
Dhanteras Puja Vidhi:धनतेरस के दिन घर की सफाई कर सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद षोडशोपचार विधि से देवता धनवंतरी देव की पूजा करें. साथ ही, माता लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें.
पटनाः Dhanteras Puja Vidhi:सनातन परंपरा में धनतेरस का त्योहार आरोग्य प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. धन्वंतरि देव भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है. उन्हें आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का वैद्य माना गया है. पारंपरिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी लोक में धनवंतरि का अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरि, चतुर्दशी को काली माता, अमावस्या को भगवती लक्ष्मी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ. इसी कारण दीपावली के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है. भगवान धनवंतरि को हर तरह के रोगों से मुक्ति दिलाने वाला और दरिद्रता दूर करने वाला देव माना गया है. अगर आप धनतेरस की पूजा 22 अक्टूबर को ही कर रहे हैं तो इसके लिए जानें शुभ तिथि और मुहूर्त
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा मुहूर्त - शाम 7 बजकर 10 - रात 08 बजकर 24 (22 अक्टूबर 2022)
प्रदोष काल: शाम 5.52 - रात 8.24 (22 अक्टूबर 2022)
वृषभ काल: शाम 7.10 - रात 09.06 (22 अक्टूबर 2022)
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
धनतेरस के दिन घर की सफाई कर सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद षोडशोपचार विधि से देवता धनवंतरी देव की पूजा करें. साथ ही, माता लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीये जलाना न भूलें. इस दौरान आपने जिन नई वस्तुओं की खरीदारी धनतेरस पर की है, उसकी भी पूजा करें. सोना-चांदी जैसी धातुओं को पूजित कर तिजोरी में रखें. धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और धन्वंतरि देव से धन और आरोग्य का आशीष मांगे.
धनतेरस के दिन है दीपदान की परंपरा
धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है और इस दिन यमराज के लिए आटे का चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है. घर की महिलाएं रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है.
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