Diwali 2023: दिवाली 2023 के अवसर पर हमें महालक्ष्मी पूजन के विधान को सरल और समझने योग्य बताया जा रहा है. इस विशेष पूजा में दीपावली की रात्रि को माता लक्ष्मी की आराधना करने के नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.


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दिवाली की पूजा में पति-पत्नी एक साथ बैठकर करें, क्योंकि जब जोड़े से पूजा की जाए, तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. पूजा के प्रारंभ में घी का दीपक जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अग्निदेव इस पूजा के साक्षी बनते हैं.


दिवाली की रात्रि का महत्वपूर्ण समय है और संभव हो तो पूजा आधी रात के बाद करना उत्तम है. रात्रि के चार प्रहरों में महालक्ष्मी की साधना करने के लिए महानिशा रात्रि का समय बहुत शुभ माना जाता है. दिवाली की पूजा के दिन सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करें, फिर पूजन कलश स्थापना करें और लक्ष्मी प्रिय कल्पों की पूजा करें, जैसे कि कौड़ी और शंख.


पूजा के बाद महालक्ष्मी को अंजली मुद्रा बनाकर सुख-समृद्धि का वर मांगें और नैवेद्य को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. पूजा के बाद पूजा स्थल को साफ़ करें और एक दीया जलाकर पूजा समाप्त करें. धनतेरस के दिन नए सिक्के की पूजा करें और घर के सभी सदस्यों को सज-धज कर बैठने के लिए कहें. इसके बाद पूजा कक्ष को बिखरा हुआ न छोड़ें और पूरी रात एक दीया जलाए रखें.


आपकी संध्या पूजा के समय पति-पत्नी या परिवार के सभी सदस्यों को इन नियमों का पालन करके माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने में सफलता मिलेगी और आपके घर में समृद्धि बनी रहेगी.


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