पटनाः Diwali 24 October Panchang: धनतेरस के मौके पर धातुओं की खरीदारी का महत्व है. आज सोमवार है, साथ ही आज दिवाली का पर्व है. दीपोत्सव का ये पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है. जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से हो जाती है और भाई दूज के दिन इसका समापन होता है. दिवाली हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. दीपावली को दीपोत्सव भी कहा जाता है. क्योंकि दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानि पंक्ति. दिवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है. 


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इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर भगवान की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार दीपावली और मनोकामना सिद्धि का एक-दूसरे से संबंध है. तंत्र-मंत्र विद्याओं के अनुसार दीपावली को सभी प्रकार की साधनाओं के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है. यही वजह है कि दीपावली की रात को महानिशा भी कहा जाता है. यानी ऐसी रात जो वर्ष भर में सबसे महान हो. 


हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायी भी दिवाली मनाते हैं. जैन धर्म में दिवाली को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं सिख समुदाय में इसे बंदी छोड़ दिवस के तौर पर मनाते हैं. इस दिन शुभ मुहूर्त में धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. 
मान्यता है कि यदि दिवाली के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाए, तो जीवन में सुख-समृद्धि और धन-दौलत का वास होता है. ज्योतिष शास्त्र में दिवाली पर पूजा के अलावा कुछ उपायों के बारे में भी बताया गया है. दिवाली की पौराणिक कथा- हिंदू धर्म में हर त्यौहार से कई धार्मिक मान्यता और कहानियां जुड़ी हुई हैं. दिवाली को लेकर भी दो अहम पौराणिक कथाएं प्रचलित है. चलिए जानते है कि आज के पंचांग में क्या खास बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य- 


आज का पंचांग
कार्तिक - कृष्ण पक्ष 
चतुर्दशी तिथि 17:27 बजे तक, 
अमावस्या - सोमवार 
नक्षत्र- हस्त नक्षत्र 14:42 बजे तक, चित्रा नक्षत्र 
महत्वपूर्ण योग- वैधृति योग 
चन्द्रमा का कन्या के उपरांत तुला राशि पर संचरण-
शुभ मुहूर्त - 11:48 बजे से 12:33 बजे तक 
राहु काल- सुबह 07:56 बजे से 09:21 बजे तक
त्योहार – दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, कमला जयंती, काल रात्रि, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, रूप चौदस, नरक चतुर्दशी 


कार्तिक मास की नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला एक त्यौहार है. इसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है. नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय दीये जलाए जाते हैं. इस दिन यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है. इसके अलावा नरक चौदस के दिन प्रातः काल सूर्य उदय से पहले शरीर पर तिल्ली का तेल मलकर और अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां पानी में डालकर स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.


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