Pitru Dosh: पितृ दोष या पितृ ऋण सुनते ही लोग घबरा जाते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है. वास्तव में इसे पितृ ऋण कहना सही है, क्योंकि आपकी उत्पत्ति जिन पूर्वजों से हुई है, वे आपके जीवन में दोष बनकर नहीं आते. बल्कि उनका कुछ कर्ज या ऋण बाकी रह जाता है, जिसे चुकाने के लिए आपका चयन हुआ है. इसलिए, इसे दोष नहीं बल्कि जिम्मेदारी समझें.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है, तो इसे शापित कुंडली कहा जाता है, लेकिन यह सच नहीं है. जब सूर्य पर शनि, राहु या केतु की दृष्टि होती है, तब पितृ ऋण बनता है. इसके अलावा अगर गुरु पर भी पाप ग्रहों का असर हो, या गुरु कुंडली में चौथे, आठवें या 12वें भाव में हो, तो यह भी पितृ ऋण का कारण हो सकता है. यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है. साथ ही पितृ ऋण जीवन में संघर्ष और मानसिक तनाव लाता है. इसके अलग-अलग प्रकार होते हैं, जैसे स्त्री ऋण, गुरु ऋण, शनि ऋण, राहु-केतु ऋण, मातृ ऋण, ब्रह्मा ऋण आदि, जिनका अलग-अलग प्रभाव होता है.


इसके अलावा अगर आपकी कुंडली में पितृ ऋण दिखता है, तो सबसे पहले गलत आचरण से बचें. पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें, संतान को धार्मिक संस्कार दें और नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करें. दान-पुण्य करें और गरीबों की मदद करें. अगर आपकी कुंडली में शनि और सूर्य के कारण पितृ दोष बन रहा है, तो यह हाल की पीढ़ियों से पितरों की नाराजगी का संकेत है. वहीं, अगर सूर्य और राहु की वजह से दोष बन रहा है, तो यह पितरों की पुरानी नाराजगी है. सूर्य, शनि और राहु की युति से बना दोष पूरे परिवार पर संकट ला सकता है.


साथ ही इससे बचने के लिए नियमित रूप से हर एकादशी, चतुर्दशी और अमावस्या पर पितरों को जल अर्पित करें. पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसकी जड़ में गंगाजल, काले तिल और फूल अर्पित करें. घर की दक्षिण दिशा में रोजाना दीपक जलाएं, गरीबों को भोजन कराएं, कन्याओं का विवाह कराएं और पितरों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें. ऐसा करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलेगी और पितरों को मोक्ष प्राप्त होगा.


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