Kendra Trikon Rajyoga: आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी कुंडली में 300 से ज्यादा तरह के योग बनने की संभावना होती है. इनमें से कुछ योग शुभ फलदायी होते हैं. कुछ योग अशुभ फलदायी होते हैं तो वहीं कुछ योग राजयोग वाले होते हैं जो रंक को भी राजा बना देते हैं. हालांकि यह सब कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है जिसका ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणना किया जाता है. आपको बता दें कि ऐसे में ही एक योग है जिसे केंद्र त्रिकोण राजयोग कहते हैं जो किसी भी जातक की कुंडली में हो तो उसे मालामाल बनने से कोई रोक नहीं सकता. 


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वैसे ज्योतिष शास्त्र की मानें तो किसी की भी कुंडली में 1,4,7,10 ये भाव केंद्र भाव कहलाते हैं. जिन भावों में भगवान नारायण यानी विष्णु का स्थान माना गया है. वहीं ये चारों केंद्र के लिए 5 वां और 9वां भाव त्रिकोण भाव बनाता है. इसे लक्ष्मी का स्थान माना गया है. ऐसे में इन भावों के अंदर कोई भी संबंध बनता है तो कुंडली में केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है. 


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ऐसे में आपको बता दें कि किसी भी कुंडली में अगर त्रिकोण का स्वामी ग्रह केंद्र में उच्च का होकर बैठ जाए या फिर केंद्र का स्वामी ग्रह त्रिकोण में उच्च का होकर विराजमान हो जाए तो केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है. इसके अलावा अगर केंद्र और त्रिकोण के स्वामी ग्रहों के बीच अगर युति बने या यूं कहें कि दोनों भावों के स्वामी एक साथ विराजमान हो जाएं तो भी केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है. इसके साथ ही दोनों भावों के स्वामी की दृष्टि एक दूसरे पर हो तो भी केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है. 


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ऐसे में जिस कुंडली में भी केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है ऐसे जातक जीवन के हर क्षेत्र में सफलता ही अर्जित करते हैं. उन्हें करियर में खूब उन्नति मिलती है. ऐसे जातकों को अगर भाग्य का साथ नहीं मिलता तो केंद्र त्रिकोण राजयोग की वजह से वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हैं. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में केंद्र त्रिकोण राजयोग बना है वह निर्णय कुशल होते हैं. वहीं इनकी सेहत और पारिवारिक संबंध दोनों शानदार होते हैं. 


बता दें कि ऐसे में 12 राशियों के लिए केंद्र त्रिकोण राजयोग बनने की संभावना उनकी राशियों के अनुसार अलग-अलग होती है. उनकी राशि के स्वामी ग्रह और उनके राशि स्वामी का कुंडली में स्थान यह निर्धारित करता है कि इस योग का निर्माण उनकी कुंडली में हो रहा है या नहीं.