Patna: कहते हैं राजनीति में कौन कब दोस्त और कौन कब दुश्मन बन जाए कहना आसान नहीं. इस बार तो सगे चाचा-भतीजा यूपी की तरह बिहार की राजनीति में भी महासंग्राम के लिए तैयार हैं. पार्टी पर अपने दावों को लेकर शुक्रवार को चिराग पासवान चुनाव आयोग (Election Commission) के पास पहुंचे. जहां एक ओर पार्टी में एक गुट ने पशुपति पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया तो वहीं चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने इसे असंवैधानिक बताया.


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इस दौरान चिराग गुट ने 77 सदस्यों के नाम आयोग को सौंपे जबकि पारस गुट ने चुनाव आयोग को कार्यसमिति की सूची को नहीं सौंपा. अब इस मामले पर फैसला रविवार को होना है कि लोजपा का असली हकदार कौन हैं?


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बता दें कि इस मामले पर पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras)  ने कहा कि वे जल्द ही अपनी कार्यसमिति की सूची आयोग को सौंपेगे. साथ ही उन्होंने कहा कि 'फिलहाल राष्ट्रीय अध्यक्ष का नियुक्ति पत्र और पार्टी संविधान की प्रति आयोग को सौंपी है.' इस बाबत चिराग ने आयोग से आग्रह किया कि LJP संवैधानिक रुप से उनकी पार्टी है. अब दोनों गुटों की नजरें आयोग के फैसले पर टिकी हैं. 


वहीं, चिराग का कहना है कि 'मेरे चाचा को पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए बुलाई गई बैठक पूर्णरुपेण असंवैधानिक थी. इस में राष्ट्रीय कार्यकारी के सदस्यों की उपस्थिति ना के बराबर थी. केवल नौ सदस्यों ने पारस को पार्टी का अध्यक्ष चुना. साथ उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी के चुनाव चिह्न और झंडे के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है.'


अब चिराग ने रविवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई हैं. इस बैठक में वो बड़ा बदलाव कर सकते हैं. ऐसा भी माना जा रहा है की जल्द ही चिराग पार्टी को मजबूती देने के लिए बिहार दौरे पर आ सकते हैं. ऐसे में सबकी निगाहे एकटक रविवार को चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी हैं.