पटना : आदिपुरुष फिल्म को लेकर पूरे देश में विवाद खड़ा हो गया है. फिल्म के किरदार में जिस तरह से हनुमान जी और रावण को फिल्माया गया है. उस पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है. बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने इस फिल्म को लेकर कहां इस देश में हिंदू समाज जो भारत को महान बनाता है हिंदू समाज के लोगों को जिस तरह का चित्रण किया गया है चाहे वह हनुमान जी हो या रावण हो. वह प्रतीक है कि हिंदू समाज को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है.


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फिल्म में हिंदू समाज को किया जा रहा बदनाम
नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि भावनाओं के साथ खेलने का प्रयास किया गया है. यह पूरी तरह से स्पष्ट दिख रहा है कि कहीं ना कहीं हिंदुस्तान को अस्थिर करने का प्रयास है. दूसरे देश का फंडिंग भी हो सकते हैं. आईएसआईएस का इसमें कनेक्शन नहीं हो सकता है और हिंदुस्तान में बैठे जो लोग हैं जो विदेशी हैं उनका भी रोल हो सकता है. इसलिए इस पर चिंता करने की जरूरत है कि लगातार इस तरह की फिल्म बनाकर हिंदू समाज को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. डी कंपनी आईएसआईएस या जो देश विरोधी ताकते है उसका कहीं इसमें संलिप्ता तो नही है और इस पर चिंता करनी चाहिए. इस तरह की फिल्मों का पूरा हिंदू समाज विरोध करेगा. हर हालत में बिहार जैसे प्रदेश में ऐसी फिल्मों पर रोक लगनी चाहिए. 


देश में नफरत फैलाने का काम कर रहे लोग
बिहार सरकार के मंत्री मदन साहनी ने कहा कि दर्शकों को समझना होगा कि वह किस मनसा से फिल्म को बना रहे हैं. वहां फिल्म को वहावाई के लिए जा रहे लोगों को जागरूक करने के लिए बना रहे हैं या देश प्रेम के प्रति लोगों को नफरत फैलाने के लिए बना रहे हैं, धार्मिक उन्माद फैलाकर अपना रोटी सेकना चाहते हैं. यह समझना होगा कोई किसी भी धर्म के विपरीत काम करते हैं या फिल्म बनाते हैं दर्शक बुरी तरीका से नकार नहीं देता. तब तक उनका मनसा सफल होता रहेगा, वो लोग फिल्म को रोजगार समझते हैं. हम धार्मिक उन्माद को फैलाकर फिल्म को प्रचार कर लोगों को सिनेमा हॉल तक खींचना है. ज्यादा से ज्यादा कमाई की उनका मनसा रहता है, लेकिन किसी धर्म के विरोध में अगर फिल्म बनता है उस धर्म के मानने वाले 1- 1 लोग फिल्म का बहिष्कार करेंगे, तो इस तरह का फिल्म बनना बंद हो जाएगा. कहीं का फंड लगे अगर फिल्म चलेगा ही नहीं तो इस तरह का लुक फिल्म नहीं बनाएंगे. धर्म को ठेस पहुंचाने वाली अगर फिल्म बनाते हैं लोग तो इसका विरोध होना चाहिए.


इनपुट- रूपेंद्र श्रीवास्तव


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