पटनाः Bihar Politics: बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कार्तिक कुमार को राहत नहीं मिली है. दानापुर कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचना पर फैसला दे दिया है. कोर्ट ने कुमार की बेल रिजेक्ट कर दी है. कोर्ट ने अग्रिम जमानत को लेकर दोनों पक्षों की दलील सुनीं. दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इसके पहले गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिक कुमार ने 31 अगस्त 2022 को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समर्पित किया था. मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी थी. कार्तिक कुमार अब राज्य मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे. गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है. इसके पहले बुधवार सुबह ही उनका मंत्रालय बदला गया था. पहले वह बिहार की नई गठित सरकार में कानून मंत्री थे.


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दानापुर कोर्ट ने जमानत से किया इन्कार
जानकारी के मुताबिक, बिहार के पूर्व मंत्री कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय कुमार सिंह के खिलाफ दर्ज अपहरण मामले में पटना के दानापुर कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया है. एडीजे अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कार्तिक कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी. अब उनपर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा गया है. बता दें कि इस केस में विवादों के चलते कार्तिकेय कुमार ने नीतीश कैबिनेट से बुधवार को इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे से पहले सीएम नीतीश कुमार ने उनका विभाग भी बदला था. उन्हें कानून मंत्री से हटाकर गन्ना उद्योग मंत्री बनाया गया था.


असल में पटना के बिहटा इलाके में 2014 में राजू सिंह उर्फ राजू बिल्डर का अपहरण हुआ था. इसमें कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह को आरोपी बनाया गया था. उनके खिलाफ बिहटा थाने में केस दर्ज हुआ, जिसमें पूर्व विधायक बाहुबली नेता अनंत सिंह भी सह आरोपी हैं. बीते दिनों कार्तिक सिंह पर आरोप लगे कि उन्हें इस केस में कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन उसी दिन वे राजभवन जाकर मंत्री पद की शपथ ले रहे थे. इसके बाद वे सुर्खियों में आ गए और बीजेपी ने उन पर जमकर हमला बोला.