Gallbladder Cancer: पानी में आर्सेनिक कितना खतरनाक है, क्यों बनता है कैंसर का कारण?
Gallbladder Cancer in Bihar: आर्सेनिक एक प्राकृतिक तत्व है जो धातु की तरह दिखता है. जब यह पानी, खाना या हवा के जरिए शरीर में 0.05 मिग्रा./लीटर से अधिक मात्रा में पहुंच जाता है, तो यह जहरीला हो जाता है.
Gall Bladder Cancer: आर्सेनिक पानी में एक खतरनाक तत्व होता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. बिहार के गंगा के मैदानी इलाकों में आर्सेनिक युक्त पानी के कारण गॉल ब्लैडर (पित्ताशय की थैली) का कैंसर बढ़ रहा है. पटना और अन्य जिलों में महिलाएं इस बीमारी से अधिक प्रभावित हो रही हैं. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा ने बताया कि इस समस्या पर शोध जारी है और जापान के साथ मिलकर इसे हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
आर्सेनिक क्या है?
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा ने बताया कि आर्सेनिक एक प्राकृतिक तत्व है, जो धातु जैसा दिखता है. यह पानी, भोजन और हवा के माध्यम से शरीर में पहुंचता है. यदि शरीर में आर्सेनिक की मात्रा 0.05 मिग्रा./लीटर से अधिक हो जाए, तो यह जहरीला हो जाता है.
पानी में आर्सेनिक का पता कैसे लगाएं?
वीके मोंगा ने बताया कि आर्सेनिक युक्त पानी को आंखों, नाक या स्वाद से नहीं पहचाना जा सकता है. ऐसा पानी बिल्कुल सामान्य दिखता है. आर्सेनिक की उपस्थिति को जानने का एकमात्र तरीका पानी की जांच करवाना है.
आर्सेनिक कैंसर का कारण क्यों बनता है?
उन्होंने कहा कि आर्सेनिक डीएनए को तैयार करने वाली प्रक्रिया में बाधा डालता है. इसके संपर्क में आने से गुणसूत्रों में विकृतियां बढ़ जाती हैं. इससे फेफड़े और त्वचा के कैंसर की संभावना होती है.
आर्सेनिक से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
इसके अलावा उन्होंने कहा कि लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने से आर्सेनिक विषाक्तता (आर्सेनिकोसिस) हो सकती है. इसके लक्षणों में त्वचा की समस्याएं (जैसे रंग परिवर्तन, धब्बे), मूत्राशय, गुर्दे या फेफड़ों का कैंसर शामिल हैं. आर्सेनिक युक्त पानी से त्वचा पर कठोर धब्बे, रंग में बदलाव और पैरों की रक्तवाहिकाओं में समस्याएं हो सकती हैं.
आर्सेनिक से बचने के उपाय
प्यूरीफायर का उपयोग: आर्सेनिक को हटाने वाला वॉटर प्यूरीफायर लगवाएं. ऐसा RO प्यूरीफायर चुनें जो आर्सेनिक के स्तर को कम करने में सक्षम हो.
पानी की जांच: नियमित रूप से अपने पानी की जांच करवाएं. साथ ही पीने के पानी में आर्सेनिक की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए.
आर्सेनिक विषाक्तता के लक्षण
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार र्सेनिक विषाक्तता के प्रारंभिक लक्षण त्वचा संबंधी समस्याओं के रूप में देखे जाते हैं. त्वचा के रंग में परिवर्तन, गहरे या हल्के धब्बे और कठोर त्वचा के लक्षण होते हैं. यदि आर्सेनिक युक्त पानी का सेवन बंद कर दिया जाए, तो इन लक्षणों में सुधार हो सकता है. लेकिन अगर आर्सेनिकोसिस गंभीर हो गई है, तो इसका इलाज मुश्किल हो सकता है.
लोगों को करें जागरूक
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा ने बताया कि आर्सेनिक प्रदूषित जल से स्वास्थ्य को बचाने के लिए तुरंत उपाय करें. अपने परिवार और समुदाय को इस बारे में जागरूक करें और पानी के स्रोत की नियमित जांच करवाएं. आर्सेनिक युक्त पानी से स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए सावधानी रखना जरूरी है.
ये भी पढ़िए- Vastu Dosh: घर में वास्तु दोष को दूर करती है ये मूर्ति, जानें किस दिशा में लगाना होता है शुभ