Ganesha Puja Vidhi: जिस तरह भगवान शिव को भांग-बेलपत्र, विष्णु जी को तुलसी पत्र, कृष्ण जी को माखन मिश्री और लक्ष्मी जी को खीर बहुत पसंद है. ठीक इसी तरह भगवान गणेश को दूब (घास का एक प्रकार) यानी दूर्वा बहुत पसंद है. उनकी पूजा करते हुए दूब का प्रयोग जरूर किया जाना चाहिए. बुधवार की पूजा में गणेश जी को दूब चढ़ाने का बहुत महत्व बताया गया है. जो भी भक्त प्रात: काल स्नान करने के बाद गणेशजी के मंदिर में जाकर दुर्वा की 11 या फिर 21 गांठ उन्हें चढ़ाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे आपके हर काम से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और आपको धन की प्राप्ति होती है.


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गणेश जी को इसलिए प्रिय है दूब
गणेशजी को पूजा में दूब क्यों चढ़ाएं, इसके पीछे भी एक जरूरी वजह है. इस संबंध में एक कथा कही जाती है. कथा के अनुसार पुराने समय में अनलासुर नाम का एक राक्षस था.इस राक्षस के आतंक को सभी देवता खत्म नहीं कर पा रहे थे, उस समय गणेशजी ने अनलासुर को निगल लिया था. जिससे गणेशजी के पेट में बहुत जलन होने लगी थी. इसके बाद ऋषियों ने खाने के लिए दूर्वा दी. दूर्वा खाते ही गणेशजी के पेट की जलन शांत हो गई. इसी के बाद से गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है. आयुर्वेद में भी दूब को एक औषधि बताया गया है. इसकी तासीर ठंडी होती है, पेट के कई रोगों में औषधि के तौर पर इसके इस्तेमाल के कई उदाहरण मिलते रहे हैं.


ऐसे चढ़ानी चाहिए दूब
गणेश जी पंचदेव (गणपति, सूर्य, विष्णु, शिव और मां दुर्गा) में पहले आराध्य देवता हैं. उनकी साधना में दूब का विशेष प्रयोग किया जाता है. मान्यता है कि यदि साधक गणपति की पूजा दूब की कोपलों से करता है तो उसे कुबेर के समान धन की प्राप्ति होती है. सभी जगह आसानी से मिल जाने वाली इस दूब को गणपति पर चढ़ाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. दूब चढ़ाने से प्रसन्न होकर गणपति सभी कष्टों और विघ्न-बाधाओं को दूर करते हैं. गणेशजी को दूब एक खास तरीके से चढ़ाई जाती है. दूब का जोड़ा बनाकर गणेशजी को चढ़ाया जाता है. 22 दूर्वा को एक साथ जोड़ने पर दूर्वा के 11 जोड़े तैयार हो जाते हैं. इन 11 जोड़ों को गणेशजी को चढ़ाना चाहिए. पूजा के लिए किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई या किसी साफ जगह पर उगी हुई दूब को ही लेना चाहिए.


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