पटना: Ganesha Strot: महादेव शिव और गौरी जी के पुत्र श्रीगणेश को संसार प्रथम पूज्य के तौर पर जानता है. सभी नायकों के अधिनायक कहे जाने वाले विनायक संकटों से भक्तों को दूर रखते हैं और उन्हें शुभ लाभ प्रदान करते हैं. भगवान गणेश के कई वरदानी स्वरूप हैं. जिसमें वह अपने भक्तों को उनकी इच्छा और मनचाहा वरदान देने के लिए उसी के अनुरूप स्वरूप ले लेते हैं. 


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ऐसा है संतान गणपति का स्वरूप
श्री गणेश का ऐसा ही एक स्वरूप है, संतान गणपति का. अगर किसी श्रद्धालु को संतान न होने का कष्ट है तो वह संतान गणपति की पूजा करे तो उसकी ये इच्छा जरूर पूरी होती है. संतान गणपति का स्वरूप एक मनमोहक बालक का रूप है, जिसमें वह अपनी मां गौरी की गोद में बैठे हैं. इस छवि की पूजा करने से मां गौरी का भी आशीष मिलता है. संतान गणपति की पूजा में इस स्त्रोत का जरूर पाठ करें. 


संतान गणपति स्तोत्र
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।


विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।


शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।


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