Buxar: बिहार में बाढ़ की विभीषिका किसी से छिपी नहीं है. जब-जब बाढ़ जैसे हालात बनते हैं, तब-तब लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बिहार के बक्सर में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि सहायक नदियां भी अपनी सीमा लांघ चुकी है. आलम यह है कि बाढ़ का पानी अब गांवों में समा चुका है. चौसा प्रखंड का आधा दर्जन गांव पानी से पूरी तरह से घिर चुका है, जिसके कारण लोगों ने अपने घरों से पलायन कर दूसरी जगह सुरक्षित स्थानों पर आसरा ले लिया है. 


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वहीं, चौसा मोहनिया मुख्य मार्ग पर पानी आ जाने से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है, इतना ही नहीं मुख्य सड़क से गांवों का संपर्क टूट जाने के कारण लोगों के आवागमन के लिए नाव का ही सहारा बचा है. हालांकि, प्रशासन की तरफ से कुछ नाव की व्यवस्था की गई है लेकिन अन्य जरूरत की सुविधाएं मुहैया नहीं होने से ग्रामीणों में खासी नाराजगी देखी जा रही है. 


स्थानीय लोगों का आरोप है कि पिछले 4 दिनों से बाढ़ का पानी गांव में समा चुका है जिसकी वजह से किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल पूरी तरह से जलमग्न होकर बर्बाद हो चुकी हैं. वहीं, लोगों के बीच खाद्यान्न और अन्य जरूरी सामानों का वितरण नहीं होने से भी लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. प्रशासन की तरफ से बाढ़ से निपटने को लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. आलम यह है की अभी तक कम्युनिटी किचन का भी शुरुआत नहीं की गई है.


प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि हालात की समीक्षा लगातार की जा रही है और जो भी गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं उन लोगों को मदद पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. चौसा के अंचलाधिकारी कमलाकांत ने बताया कि लोगों के आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था कराई गई है. इसके अलावा, किसानों के फसल बर्बादी का आकलन भी पानी के खत्म होने के बाद कराया जाएगा और उन्हें उचित मुआवजा दिलाया जाएगा.


गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण अमूमन यही हालात दियारा इलाके में भी बने हुए है. इलाके के कई गांव पानी से सराबोर हो गए हैं, संपर्क पथ पर पानी आ जाने के कारण प्रखंड मुख्यालय से भी लोगों का संपर्क टूट गया है, जिससे जरूरी कामकाज पर खासा असर पड़ रहा है. बाढ़ और फसल बर्बादी का दोहरा दंश झेल रहे किसान अब पशुओं का चारा नहीं मिलने की चिंता में डूबे हैं. वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन के किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली है.  बाढ़ से निपटने की तैयारी केवल कागजों पर है और आम लोगों तक किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं पहुंच रही है.


जाहिर है बाढ़ जैसी आपदा में प्रशासन के समक्ष भी स्थितियों से निपटने की चुनौतियां होती हैं. आपदा में प्रभावित और पीड़ित लोगों की तादाद इतनी ज्यादा होती है कि प्रशासन द्वारा की जाने वाली मदद भी सभी लोगों तक नहीं पहुंच पाती. ऐसे में लोगों की प्रशासन के प्रति नाराजगी लाजमी है. बहरहाल जरूरत इस बात की है कि बाढ़ जैसी स्थिति में परेशान लोग धैर्य से काम लें और प्रशासन भी पीड़ितों को चिन्हित कर उन्हें हर संभव मदद पहुंचाये ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो सके.