Govardhan Puja 2022: कल गोवर्धन पूजा, जानें कैसे शुरू हुई 56 भोग की परंपरा, रोचक कहानी
Govardhan Puja 2022: मान्यता है कि इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए और उनका घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. इंद्र ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए लगातार 7 दिनों तक ब्रज में मूसलाधार बारिश कराते रहे.
Govardhan Puja 2022: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. हालांकि इस बार दीपावली के अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होने के वजह से गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाई जा रही है. मान्यता है कि इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए और उनका घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. इंद्र ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए लगातार 7 दिनों तक ब्रज में मूसलाधार बारिश कराते रहे. तब भगवान कृष्ण को लगातार सात दिनों तक भूखे-प्यासे अपनी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाएं रखना पड़ा था. इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे. माना जाता है तभी से ये 56 भोग की परंपरा की शुरुआत हुई.
यानी भगवान कृष्ण ने देवराज के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी. उस दिन से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा करते हैं.
जानें गोवर्धन पर क्यों बनाते हैं अन्नकूट
कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के गुस्से की वजह से होने वाली भारी बारिश से गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावन वासियों को बचाया था. इसके बाद कृष्ण ने लोगों को पर्वत और प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं की अहमियत बताने और उनके प्रति सम्मान जताना सिखाने के लिए गोवर्धन पूजा की शुरुआत की थी. इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है. जिसमें लोग गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक बनाकर पूजा करते हैं और प्रकृति से मिलीं चीजों से ही अन्नकूट बनाकर भोग लगाया जाता है.
अत्यंत महत्वपूर्ण है गोवर्धन पूजा
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा अत्यंत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है. साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है. पूजा में कान्हा का अच्छे से साज-श्रृंगार करके शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा-आराधना की जाती है. कान्हा के समक्ष अपनी समस्त मनोकामनाओं की अर्जी लगाकर उसे पूरा करने की विनती की जाती है.
गोवर्धन पूजा पर की जाती है गाय की पूजा
गोवर्धन पूजा को हमारे देश में दिवाली के अगले दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस पूजा में श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल भी मिलता है. इस दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व है.