बक्सर : मुनि विश्वामित्र की नगरी बक्सर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी.  बक्सर का ऐतिहासिक पंचकोशी मेले का यहां आयोजन हुआ है. बक्सर के अलावे दूर-दराज के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में लोग यहां पहुंचे. मान्यता के अनुसार पहले लाखों लोगों ने बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना की. इसके बाद लोगों ने समूह बनाकर लिट्टी चोखा भोज का आयोजन किया. इस दौरान गंगा का तटीय इलाका और बक्सर के किला मैदान में मेले जैसा नजारा दिखा. 


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भगवान श्रीराम अंतिम पड़ाव में बक्सर पहुंचे थे 
पंचकोशी मेले के आयोजन पर बक्सर में लिट्टी-चोखा भोज का आयोजन हुआ. जिसमें श्रद्धालुओं ने खुद लिट्टी बनाई और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया और दूसरों के बीच भी वितरित किया. लिट्टी-चोखा के लिए खासकर पंचकोशी मेला जाना जाता है, दरअसल 4 जगहों की यात्रा करने के बाद भगवान श्रीराम अंतिम पड़ाव में बक्सर पहुंचे थे. जहां वह लिट्टी-चोखा खाया था. तभी से यह मान्यता है कि यहां का लिट्टी-चोखा भगवान श्रीराम का प्रसाद है. यह इस बात की पुष्टि करती है कि इसकी धार्मिक महत्ता कितनी अधिक है कि देशभर से लोग इस पंचकोशी यात्रा में के लिए आते हैं. ऐसे में एक तरफ जहां देशभर के साधु-महात्मा और संत एकत्रित होते हैं वहीं देश भर से श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है. इस दौरान प्रशासन के तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. यह सिलसिला देर रात से ही शुरू होता है और पंचकोशी में देर रात तक यह चलता रहता है.


यहां प्रसाद के रूप में लिट्टी-चोखा बनता है
बक्सर के पंचकोशी मेले को लेकर देर रात से ही लोगों का आना शुरू हो गया था. मेले के कारण पुरे शहर में भीड़-भाड़ बनी रही. सुबह-सुबह भारी संख्या में पहुंचे लोगों ने बक्सर के ऐतिहासिक रामरेखा घाट पर गंगा में डुबकी लगाई और पवित्र स्नान के बाद पहले पूजा अर्चना की. लोगो ने मंदिरों में पूजा अर्चना के साथ सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना की. इस दौरान लोगों ने दान पुण्य का भी काम किया. दूर दराज से पहुंचे लोगों ने सुबह के तीन बजे तक पूजा पाठ कर लिट्टी-चोखा की तैयारी में लग गए. सुबह से शुरू यह आयोजन देर रात तक चलता रहेगा. हालांकि पंचकोश मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं में काफी उत्साह दिखा. 


भगवान श्रीराम जब बक्सर पहुंचे तब उन्होंने पांच जगहों की यात्रा 
सदियों से बक्सर की पावन धरती पर लगनेवाले पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है. इस मेले का सरोकार सीधे भगवान श्रीराम से है. ऐसी मान्यता है की भगवान श्रीराम जब विश्वामित्र नगरी पहुंचे तब उन्होंने पांच जगहों की यात्रा की. सबसे पहले बक्सर के अहिल्या धाम अहिरौली में माता अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम ने पुआ खाकर इस आयोजन की शुरुआत की थी. इस दौरान भगवान राम ने बक्सर के कुल पांच जगहों का भ्रमण किया और जहां जो कुछ खाया उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते हैं. 


बक्सर का पौराणिक नाम व्याघ्रसर था
पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवान श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी-चोखा खाकर विदा लिया था. यह तब की बात है जब बक्सर का पौराणिक नाम व्याघ्रसर था. उस वक्त मुनि विश्वामित्र ने भगवान राम को वर्तमान बक्सर के आध्यात्मिक वैभव से अवगत कराया था. 
(रिपोर्ट- रवि मिश्रा)


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