Bihar Education System: बिहार में एक तरफ राज्य की सरकार जहां सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा शिक्षा में सुधार लाने के लिए लगातार नए-नए फरमान जारी किए जा रहे हैं. इस दौरान विद्यालय नहीं पहुंचने वाले छात्र एवं छात्राओं का नाम भी काटा जा रहा है. केके पाठक की सख्ती ने बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत कितनी बदली? इस पर जी न्यूज ने कई जिलों के सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक किया, जिसमें चौंकाने वाले परिणाम नजर आए. सख्त नियमों के बाद स्कूलों में बच्चों की संख्या में तो बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, लेकिन अब स्कूलों में बच्चों को बुनियादें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. 


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मुजफ्फरपुर के उच्च शिक्षा देने वाले हाई स्कूल हो या मिडिल स्कूल, सभी स्कूलों में उपलब्ध संसाधन बच्चों के लिए कम पड़ रहा है. मुजफ्फरपुर के सरकारी स्कूलों में कहीं पर भवन नहीं है तो कहीं पर शिक्षक नहीं है. मुजफ्फरपुर जिले के मुसहरी प्रखंड के दिघरा मध्य विद्यालय में एक छोटे से कमरे में 80 छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. क्लास रूम में बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज भी नहीं थीं, क्लास वन के छोटे-छोटे बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. वहीं दिघरा हाई स्कूल में कई विषयों के टीचर उपलब्ध नहीं थे. स्कूल में हिंदी और संस्कृत जैसे मुख्य विषय के ही शिक्षक नहीं थे.


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भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमण्डल के खरीक स्थित मध्य विद्यालय खरीक बाजार का जायजा लिया. यहां की व्यवस्था सबसे अलग है और चौंकाने वाली है. इस स्कूल में दो शिफ्ट में पढ़ाई होती है. सरकारी विद्यालय जहां साढ़े 9 बजे जहां खुलते हैं वहीं यह स्कूल सुबह 7 बजे ही खुल जाता है. इस स्कूल में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई होती है. पहली शिफ्ट में 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. तो दोपहर में 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विद्यालय पहले प्राथमिक विद्यालय था फिर इसे मध्य विद्यालय बनाया गया. इसके बाद उत्क्रमित किया गया यानी प्लस टू तक के बच्चों की पढ़ाई होने लगी, लेकिन भवन वही है.


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बेगूसराय के बीरपुर प्रखंड के उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय वीरपुर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव देखने को मिल रहा है. यहां छात्राएं बरामदे पर पढ़ाई को मजबूर हो रही हैं. कक्षा 1 से 5 तक के बच्चे बरामदे पर ही पढ़ने को विवश हैं. विद्यालय में कार्यालय और स्टोर रूम एक ही कमरे से संचालित हो रहा है. स्थानीय लोगों ने विद्यालय की जमीन पर भी अतिक्रमण होने का आरोप लगाया.