आपके पास है ये विवरण तो कैसे देखें अपनी कुंडली? यहां जानें
हिन्दू धर्म या सनातन धर्म में ज्योतिष एक विज्ञान की तरह माना गया है. यही वजह है कि इसमें ग्रहों की दशा की गणना कर लोगों के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है.
kundali: हिन्दू धर्म या सनातन धर्म में ज्योतिष एक विज्ञान की तरह माना गया है. यही वजह है कि इसमें ग्रहों की दशा की गणना कर लोगों के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर आपके पास आपके जन्म का विवरण जैसे आपके जन्म की तारीख, महीना, वर्ष, जन्म का समय, जन्म का स्थान पता है तो ऐसे में आप भी अपनी जन्म कुंडली के देख सकते हैं. हालांकि इसके लिए आपको कुछ बातों को जान लेना बेहद जरूरी है. आपकी जन्म कुंडली आपके पैदा होने से लेकर आपके जीवन के अंतिम क्षण तक का वह आईना है जिसके अंदर आपके जीवन के सारे राज छुपे होते हैं.
यही जन्म कुंडली आपकी भाग्य कुंडली बन जाती है. ऐसे में आप किसी ज्योतिष से तो सलाह लें हीं क्योंकि वह आपके ग्रहों की बेहतर गणना करके आपको आपके जीवन के सभी पहलूओं के अवगत कराएंगे लेकिन अगर आप अपने से भी अपनी कुंडली को देखना चाहते हैं तो यहां हम कुछ चीजों को आपको बताएंगे जिसके जरिए आप आसानी से अपनी जन्म कुंडली को पढ़ सकेंगे.
जन्म कुंडली या जन्म पत्रिका में आपके जन्म के समय जो ग्रहों की स्थिति या नक्शा आकाश में होता है उसका सटिक चित्रण होता है. आपकी जन्म कुंडली में 12 खाने या घर होते हैं जिसमें आपके नवग्रह स्थित होते हैं और हर घर में हर ग्रह का अपना अलग-अलग प्रभाव होता है. इसको जन्म पत्रिका देखकर और प्रसिद्ध ज्योतिषियों के द्वारा गणना के द्वारा ही सही तरीके से बताया जा सकता है.
ऐसे में जिस समय जातक का जन्म हुआ है उस समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को देख इसकी गणना की जाती है. ऐसे में जन्म कुंडली के 12 घर जिसे भाव कहा जाता है. इसके हर भाव में एक राशि को दर्शाता है. उसके आधार पर हर घर का स्वामी बनता है और उस घर में जो ग्रह आपकी कुंडली में हैं उसके प्रभाव की गणना की जाती है. वहीं ग्रहों को बाल, यौवन और वृद्ध अवस्था में उनके डिग्री के वैल्यू से भी दर्शाया गया है. इसके साथ ही कौन से ग्रह आपकी कुंडली में अस्त या मृत पड़े हैं उसके अनुसार भी उसके प्रभावों की गणना की जाती है.
कुंडली में आपके नवग्रह सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु अपने-अपने घरों में स्थित होते हैं और अपने घर यानी भाव के हिसाब से आपको परिणाम देते हैं. इनकी सबलता या दपुर्बलता का भी आपके जीवन पर उतना ही असर देखने को मिलता है. अब आपको बता दें कि मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है. तो वहीं वृष और तुला राशि का स्वामी शुक्र, मिथुन और कन्या राशि का स्वामी ग्रहों के राजकुमार बुध हैं तो वहीं कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा, सूर्य सिंह राशि का स्वामित्व करता है, वहीं धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं तो वहीं शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. राहु और केतु को कुंडली में छाया ग्रह कहा गया है. इनकी कोई राशि नहीं है ऐसे में जिनके साथ इनकी युति बनती है वह उसी ग्रह के हिसाब से आपकी कुंडली में जो स्थिति है उसका प्रभाव देते हैं.
ऐसे में जब आप ऑनलाइन कुंडली ऐप पर जाकर अपने जन्म का विवरण जैसे आपके जन्म की तारीख, महीना, वर्ष, जन्म का समय, जन्म का स्थान भरेंगे तो आपके सामने आपकी कुंडली होगी जिसके अनुसार आपके लग्न की राशि, उसका स्वामी. आपकी राशि और आपके राशि का स्वामी आपके लग्न में कौन सा ग्रह स्थित है और उसका प्रभाव ये सब आसानी से देख पाएंगे लेकिन इसके विस्तृत विवरण के लिए आपको ज्योतिष से सलाह लेनी पड़ेगी ताकि वह आपके कुंडली का बेहतर विश्लेषण कर आपको और ज्यादा बता सकें.