Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में हवन को बहुत अद्भुत और महत्वपूर्ण माना जाता है, जो हिन्दू धर्म में एक प्रमुख आध्यात्मिक प्रथा है. हवन करने से न केवल देवी-देवताओं को प्रसन्नता होती है, बल्कि इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. हवन के लिए कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि इससे पूरा फल प्राप्त हो सके.


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वास्तु शास्त्र के अनुसार हवन करने के लिए घर के अग्निकोण, जिसे दक्षिण-पूर्व दिशा कहा जाता है सबसे उपयुक्त होता है. यहां घर का यह भाग वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है. इसके अलावा, हवन करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण-पूर्व की दिशा में होना चाहिए, जो हवन करने के लिए अत्यंत आवश्यक है. सही दिशा में हवन करने से ही इसके पूर्ण फल प्राप्त होता है और घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है. हवन करते समय पूजा नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि समिधा का माप और प्रयोग का ध्यान रखना चाहिए. समिधा का इस्तेमाल आम लकड़ी से करना चाहिए और सड़ी हुई लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.


हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के लिए लकड़ी का प्रयोग होता है, जिसमें आम लकड़ी का ही प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा, आप चंदन, ढाक और पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन इन लकड़ियों को साफ और नकारात्मक घुन नहीं होना चाहिए. हवन में अक्षत का भी प्रयोग जरूरी माना जाता है और यह ध्यान रखना चाहिए कि इसे देवताओं को 3 बार और पितरों को एक बार ही चढ़ाया जाता है. इसके अलावा, घी का दीप भी देवताओं के बाईं ओर या अपने दाईं ओर रखना चाहिए.


इन सरल नियमों का पालन करके हवन को सही दिशा में और सही तरीके से करने से ही इसके पूर्ण लाभ की प्राप्ति हो सकती है. यदि आप इन निर्देशों का पालन करते हैं, तो हवन आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और घर की ऊर्जा को बनाए रखने में मदद कर सकता है.


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