ITR फाइल करने में आता है कितना खर्च? रिटर्न नहीं दाखिल करने पर कितना जुर्माना लगेगा, जानें सबकुछ
आम तौर पर निजी टैक्स फाइलिंग पोर्टल पर 200 रुपये से 250 रुपये तक शुल्क देना होता है. हालांकि अगर आप सटीक फाइलिंग के लिए सीए, वकील या टैक्स एक्सपर्ट की मदद लेते हैं तो उनकी फीस भी देनी पड़ सकती है.
ITR Filing Process Fees: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए अब सिर्फ एक सप्ताह का समय बचा है. केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सभी लोगों को 31 जुलाई 2023 से पहले-पहले तक अपना ITR जरूर फाइन कर देना होगा. अगर आपने अभी तक आरटीआई नहीं भरा तो देर बिल्कुल मत करिए. आप आधिकारिक सरकारी पोर्टल पर मुफ्त में अपना टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. हालांकि जो लोग निजी टैक्स फाइलिंग पोर्टल का उपयोग करके अपना टैक्स दाखिल करना चाहते हैं, तो उन्हें सर्विस चार्ज देना होगा.
अब सवाल ये है कि निजी टैक्स फाइलिंग पोर्टल कितना खर्चा आएगा? आम तौर पर निजी टैक्स फाइलिंग पोर्टल पर 200 रुपये से 250 रुपये तक शुल्क देना होता है. हालांकि अगर आप सटीक फाइलिंग के लिए सीए, वकील या टैक्स एक्सपर्ट की मदद लेते हैं तो उनकी फीस भी देनी पड़ सकती है. बिजनेस टुडे में छपी खबर के अनुसार, टैक्स स्पेशल सर्विस के साथ निजी पोर्टल के जरिए फाइलिंग पर 750 रुपये से 1,000 रुपये का खर्च आता है. लेकिन अगर आपको फाइनेंसियल एसेट से कैपिटल गेन होता है, तो फालिंग शुल्क 2,000-3000 रुपये तक जा सकता है.
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आईटीआर को सही तरीके से फाइल करना अहम है, वरना इसके वित्तीय नुकसान हो सकते हैं. टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि सरकार द्वारा दी गई समयसीमा (31 जुलाई तक) आपको आरटीआई भर देना चाहिए. इस तय तारीख के बाद भी रिटर्न दाखिल किया जा सकता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी झेलने को पड़ सकते हैं. इसके लिए फाइन भी देना पड़ सकता है.
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कितना जुर्माना लगेगा?
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 139 (4) के तहत समयसीमा (Due Date) के बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरना बिलेटेड रिटर्न कहलाता है. बिलेटेड ITR फाइल करने के लिए आपको कीमत चुकानी होती है. आयकर नियमों के मुताबिक, कोई भी टैक्सपेयर, जिसने 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल नहीं किया है, लेट फीस चुका कर बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है. 5 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर लेट फीस 5,000 रुपये लगेगी. छोटे टैक्सपेयर, जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है, उनके लिए जुर्माना 1,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगा.
इतना ही नहीं रिमाइंडर के बावजूद टैक्स रिटर्न दाखिल न करने पर आयकर विभाग की ओर से कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है, जिसमें तीन महीने से लेकर 7 साल तक की कैद हो सकती है.