Jamtara: सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट महिला बोल रही-`मैं जिंदा हूं`, जानें क्या है मामला
Jamtara News: जामताड़ा में एक महिला जीवित है लेकिन सरकारी दफ्तर उसे जिंदा मानने को तैयार नहीं है. मामला कर्माटांड़ (Karmatand) प्रखंड का है.
Jamtara: पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'कागज' (Kaagaz) में खुद को जिंदा बताने के लिए एक्टर को काफी सारे कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है. एक्टर अपने जिंदा होने की सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कई सारे दफ्तरों का चक्कर लगाते हैं. कुछ इसी तरह का मामला झारखंड के जामताड़ा से भी सामने आया है.
जामताड़ा में एक महिला जीवित है लेकिन सरकारी दफ्तर उसे जिंदा मानने को तैयार नहीं है. मामला कर्माटांड़ (Karmatand) प्रखंड का है. अलगचुआ पंचायत के शीतलपुर गांव की चंद्रमा देवी अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुकी है. चंद्रमा देवी के पति की मौत साल 2019 में हो चुकी है.
इसके बाद उन्होंने पंचायत सचिवालय में पति के मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) के लिए आवेदन दिया था. सरकारी कर्मियों ने चंद्रमा देवी के पति का नहीं बल्कि उनका ही मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया. एक तरह से सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही ने चंद्रमा देवी को जीते जी मार दिया गया.
अब चंद्रमा देवी खुद को जिंदा साबित करने के लिए 3 साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं, हैरत की बात ये है कि अब तक वो खुद को जिंदा साबित नहीं कर पाई हैं. नतीजा ये है कि उन्हें अब तक वृद्धा पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. जब सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाकर चंद्रमा देवी थक हार गईं तो उन्होंने कोर्ट में जाने का फैसला किया. निराश और मायूस चंद्रमा देवी ने अब जामताड़ा व्यवहार न्यायालय में गुहार लगाई है ताकि उसके जिंदा रहने पर मुहर लग सके.
वहीं, इस मामले को लेकर जिले के उपायुक्त ने कहा है कि ये मानवीय भूल की वजह से हुआ है. उपायुक्त के मुताबिक इसमें सुधार के लिए संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है और जल्द ही इस गलती में सुधार कर लिया जाएगा. वैसे डीसी के मामला संज्ञान में लेने से बात खत्म नहीं होती है. सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे इतनी बड़ी लापरवाही हो गई और क्या जिंदा महिला को डेथ सर्टिफिकेट देने वाले कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई होगी.