पटनाः Janmashtmi 2022: जन्माष्टमी का त्योहार आने वाला है. भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. कहते हैं कि आज से 5000 वर्ष पूर्व भगवान ने धरती पर जन्म लिया था. इस घटना के कई साक्ष्य मिलते हैं. वैज्ञानिकों ने गुजरात के किनारे समुद्र में डूबी एक नगरी के अवशेष खोज निकाले हैं. कहते हैं कि यही नगरी किसी जमाने द्वारिका थी, जिसे समुद्र ने डुबो दिया था. जब-जब भगवान कृष्ण का नाम लिया जाता है तो मामा कंस का नाम भी जरूर याद आता है. 


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कंस ने की थी छह भान्जों की हत्या
कंस, जिसने अपनी मौत टालने के लिए अपनी ही सगी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कारागार में डाल दिया था. इतना ही नहीं, कंस ने अपने छह भान्जों की हत्या भी कर दी थी. इस तरह उसके पाप का घड़ा भर गया और बाल्यकाल में ही श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया. कंस वध की ये कहानी तो आम है और सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में कंस कौन था. दरअसल इसके पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य है. कंस की माता पवनरेखा और पिता उग्रसेन थे. लेकिन वास्तव में कंस पहले से ही एक राक्षस था और राक्षस का ही पुत्र था. 
 
कंस का पूर्व जन्म
पौराणिक कथाओं में कृष्ण भगवान के साथ ही कंस मामा के पैदा होने का रहस्य भी बताया जाता है. इन कथाओं के मुताबिक कंस अपने पिछले जन्म एक राक्षस था. जिसका नाम था कालनेमि. एक बार देवासुर संग्राम हुआ. इस दौरान भगवान विष्णु ने कालनेमि का वध कर दिया. लेकिन श्रीहरि ने कहा, कालनेमि मरा नहीं है, सिर्फ उसका एक जन्म समाप्त हुआ है. वह पहले भी असुर रूप में जन्म ले चुका है और आगे भी असुर बन कर पैदा होगा.


ये था कंस का असली पिता
इस घटना के हजारों वर्षों बाद द्वापर युग में महाराज उग्रसेन और उनकी पत्नी पवनरेखा के घर कंस का जन्म होता है. कंस के पिता भले ही उग्रसेन हैं, लेकिन कथाओं के अनुसार वह उनका पुत्र नहीं था. हुआ यूं कि एक बार रानी पवनरेखा विवाह के बाद अपने मायके गई थीं. एक दिन उन पर एक गंधर्व की नजर पड़ गई और वह उन पर मोहित हो गया. इसके बाद गंधर्व ने माया फैलाकर रानी पवनरेखा को अपने वश में कर लिया. इसके कुछ दिन बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. यही पुत्र कंस था और इसके आसुरी प्रभाव बचपन से ही दिखने लगे थे. बड़ा होते-होते कंस अत्याचारी और घमंडी होता चला गया.


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