Jitiya Vrat 2024 Date: जितिया व्रत उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में खासतौर पर मनाया जाता है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार यह व्रत माताएं अपने बच्चों, खासकर पुत्रों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, यानी व्रती महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पिए उपवास करती हैं. जितिया व्रत सिर्फ पुत्रों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी संतान की सुरक्षा और खुशहाली के लिए किया जाता है.


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व्रत का क्या है धार्मिक महत्व
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस व्रत का पौराणिक महत्व बहुत बड़ा है. माना जाता है कि जीमूतवाहन नामक एक राजा ने नागों और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए अपना जीवन त्याग दिया था. उनके इस बलिदान की याद में माताएं जीतिया व्रत करती हैं, ताकि उनकी संतानें हर प्रकार के संकट से सुरक्षित रहें और उन्हें लंबी उम्र और समृद्धि मिले.


व्रत की तिथि: इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत 24 सितंबर को शुरू होगा और 25 सितंबर को माताएं निर्जला उपवास रखेंगी.


महत्व: इस व्रत को करने से संतान की उम्र लंबी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. माना जाता है कि व्रत करने से संतान दीर्घायु और स्वस्थ रहती है और गर्भवती महिलाओं को भी लाभ होता है.


पूजा विधि: व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और जीमूतवाहन की पूजा करती हैं. उपवास के दौरान न कुछ खाया जाता है और न ही पानी पिया जाता है. अगले दिन पारण (उपवास समाप्ति) के बाद व्रत खत्म होता है. इस व्रत को श्रद्धा और नियमों के साथ पालन किया जाता है, ताकि संतान का जीवन सुखमय और लंबा हो.


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