Karva Chauth 2024: करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को होगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती हैं. जब रात में चांद दिखाई देता है, तब वे छलनी से चांद के दर्शन करती हैं और फिर व्रत खोलती हैं. व्रत के दौरान छलनी पर दीया रखने की परंपरा भी निभाई जाती है, लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.


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छलनी पर दीया रखने का महत्व
आचार्य मदन मोहन के अनुसार भगवान गणेश ने चंद्रदेव को एक श्राप दिया था, जिसके कारण उन्हें कलंकित कर दिया गया था. इस कारण करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद के सीधे दर्शन नहीं करतीं, बल्कि छलनी के माध्यम से देखती हैं. अब सवाल उठता है कि छलनी पर दीया क्यों रखा जाता है. कहा जाता है कि दीया अंधकार को दूर करता है और प्रकाश फैलाता है. यह दीया नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मकता लाने का प्रतीक है. साथ ही, यह चंद्रमा के कलंक को समाप्त करने में मदद करता है। इसलिए छलनी में दीया रखने की परंपरा है.


पति के भाग्य और खुशहाली का प्रतीक
मान्यता है कि छलनी पर दीया रखने से पति का भाग्य उदय होता है और उसके जीवन में खुशहाली बनी रहती है. चंद्रमा को छलनी से देखने पर सुहागिन महिलाओं को कलंक नहीं लगता और यदि उनके पति के जीवन में कोई कठिनाई या अंधकार हो, तो वह भी समाप्त हो जाता है. इसीलिए महिलाएं छलनी के साथ दीया रखकर चांद के दर्शन करती हैं.


धार्मिक दृष्टिकोण से दीये का महत्व
धर्म शास्त्रों के अनुसार यदि पूजा या किसी धार्मिक अनुष्ठान में कोई गलती हो जाए, तो दीया जलाने से उस गलती को ठीक किया जा सकता है. दीया जलाने से पूजा में की गई छोटी-मोटी चूक का दोष भी नहीं लगता. इसलिए करवा चौथ की पूजा में दीया जलाने का विशेष महत्व है. यह दीया न केवल पूजा को सफल बनाता है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है. साथ ही करवा चौथ के दिन छलनी और दीये के इस महत्व को समझते हुए पूजा करें, ताकि आपका व्रत सफल हो और आप और आपके पति के जीवन में खुशियां बनी रहें.


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