Karwa Chauth 2022 Moonrise Time in Patna: जानिए पटना में कब खिलेगा चांद, क्या है सरगी का मुहूर्त
Karwa Chauth 2022 Moonrise Time in Patna: करवाचौथ का व्रत चांद के दर्शन करके पूरा किया जाता है. इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन का काफी इंतजार रहता है. पटना में चांद 07 बजकर 44 मिनट पर निकलेगा.
पटना: Karwa Chauth 2022 Moonrise Time in Patna, karwa chauth ka chand kab niklega: करवा चौथ आने में अब केवल एक दिन का समय बचा है. आने वाली 13 अक्टूबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. किसी भी त्योहार में शुभ मुहूर्त बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि अगर शुभ मुहूर्त के दौरान कार्य किए जाते हैं तो वह व्रत दोगुना फलदाई होता है. ऐसे में जरूरी है कि करवा चौथ से जुड़ी पूजा मुहूर्त, सरगी मुहूर्त, उपवास मुहूर्त, चंद्रोदय का समय आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए.
पूजा का शुभ समय
कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर को रात 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. करवाचौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. पूजा का अति शुभ समय शाम 07:34 से 09:30 बजे तक है. इसके अलावा 09:30 से 11:45 तक है.
यह होगा सरगी का समय
कल करवा चौथ पर सुबह सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के बीच सरगी ग्रहण कर ले. वहीं, करवा चौथ पर चंद्रोदय का वक्त रात 8 बजकर 11 मिनट का है. जबकि बिहार के कई शहरों में जैसे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और झारखंड के रांची, बोकारो, धनबाद में सरगी का शुभ समय व्रत रखने से पहले 4 बजे से 5:30 बजे के बीच बताया जा रहा है.
इस वक्त खिलेगा चांद
करवाचौथ का व्रत दिनभर निर्जला रखकर किया जाता है और चांद के दर्शन करके इसका व्रत पूरा किया जाता है. इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन का काफी इंतजार रहता है. पटना में चांद 07 बजकर 44 मिनट पर निकलेगा.
चंपारण में परंपरा
हालांकि चंपारण में सदियों से पुरानी परंपरा है कि यहां गउर (करवाचौथ) व्रत को सुहागिन एवं कुंआरी कन्याएं दोनों पूरे उत्साह के निर्जला करती है. यहां करवाचौथ व्रत ही गउर व्रत है. इस दिन व्रती नदी में स्नान कर ही घर लौटती हैं. उसके बाद सामूहिक रूप से दीवार पर बनाए गए परंपरागत रंगोली के समीप बैठकर विधिवत पूजा करती हैं. चंपारण के इलाके में सरगी की परंपरा नहीं है. हालांकि नई बहुएं अब ऐसा भी करने लगी हैं.
सरगी नहीं आशीर्वाद है
करवा चौथ में सरगी का खास महत्व होता है. इसे सूर्योदय से पहले खाते हैं. महिलाएं अपना व्रत सरगी खाकर ही शुरू करती हैं. घर परिवार में बड़ी बुजुर्ग महिलाएं या सास ही सरगी का खाना अपनी बहू को देती है. जिसे आशीर्वाद के तौर पर देखा जाता है. सरगी खाने का लाभ यह होता है कि इसे खाने के बाद व्रत रखने वाली व्रती दिनभर एनर्जी में रहती है.
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