पटनाः Jitiya Vrat 2022: लोक परंपरा और त्योहारों से बिहार की धरती हमेशा से संपन्न रही है. यहां की व्रत परंपरा जितनी ही कठिन होती है, उतनी ही अनोखी भी होती है. इसके अलावा इन परंपराओं में गूढ़ अर्थ छिपे होते हैं. इस वक्त बिहार में एक खास व्रत की तैयारी शुरू हो चुकी है. इस व्रत को जितिया, ज्यूतिया और शुद्ध रूप में कहें तो जीवित्पुत्रिका व्रत कहा जाता है. अपनी संतान के लिए रखा जाने वाला यह व्रत कुछ- कुछ अहोई अष्टमी और हलछठ की तरह होता है, लेकिन बिहार में इसके मनाए जाने की रीत अलग ही है. माताओं ने अपनी संतान के लिए इसकी तैयारी करनी शुरू कर दी है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये है परंपरा
जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि मनाया जाता है. इस व्रत का बड़ा महात्म्य है. व्रत-पूजा और अनुष्ठान से पहले गोबर-मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है. इन्हीं प्रतिमाओं की पूजा की जाती हैं. कुश के जीमूतवाहन व मिट्टी-गोबर से सियारिन व चूल्होरिन की प्रतिमा बनाकर व्रती महिलाएं जिउतिया पूजा करती हैं. जितिया व्रत के तीसरे दिन इसका पारण किया जाता है. इस दिन नहाए खाए वाले दिन ग्रहण किया गया भोजन ही खाया जाता है. जैसे- मडुआ की रोटी, नोनी का साग, दही-चूरा, आदि.


जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त 
छठ की ही तरह यह व्रत भी लगातार 3 दिनों और 36 घंटे का होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है. इस बार यह उपवास 18 सितंबर की रात से शुरू होगा और 19 सितंबर तक चलेगा.व्रत का पारण 19 सितंबर को ही किया जाएगा. 17 सितंबर को जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होगी. उसके बाद 18 सितंबर को व्रत रखा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से 17 सितंबर को दोपहर 2.14 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और 18 सितंबर दोपहर 4.32 पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी. इसके बाद, जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और इसका पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा.19 सितंबर की सुबह 6.10 पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है.


यह भी पढ़े- Shanidev Pooja: शनिदेव का आज हुआ था जन्म, इन मंत्रों और आरती से करें पूजा