पटनाः Lalita Panchami Vrat:अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. साथ ही इस दिन ललिता पंचमी का व्रत भी रखा जाता है. इसमें देवी सती के रूप मां ललिता की आराधना की जाती है. देवी ललिता मां की दस महाविद्याओं में से एक हैं. इन्हें त्रिपुरा सुंदरी और षोडसी के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत उपांग ललिता व्रत के नाम से लोकप्रिय है. इस व्रत को गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष रूप से रखा जाता है. इस दिन मां ललिता या त्रिपुर सुंदरी देवी का पूजन करते हैं.


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ललिता पंचमी कथा
पिता दक्ष द्वारा भोलेनाथ का अपमान सहन न कर पाने पर देवी सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे. इसके बाद भगवान शिव उनकी देह को उठाए भ्रमण कर रहे थे. चारों ओर हाहाकार मच गया था. भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को विभाजित कर दिया था. तब भगवान शंकर ने उन्हें अपने हृदय में धारण किया, इसलिए ये ललिता कहलाईं.


ये है व्रत की शुभ तिथि और मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 29 सितंबर को देर रात 12 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 30 सितंबर को रात 10 बजकर 34 मिनट तक मान्य रहेगी. उदयातिथि के आधार पर इस साल ललिता पंचमी व्रत 30 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. ललिता पंचमी व्रत के दिन तीन शुभ योग बन रहे हैं. 30 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 06 बजकर 13 मिनट से अगले दिन सुबह 04 बजकर 19 मिनट तक है. यह योग आपके सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उत्तम है.


ललिता पंचमी व्रत महत्व
ललिता पंचमी का व्रत करने से सारे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. ललिता पंचमी व्रत के प्रभाव से भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं. ललिता पंचमी व्रत के दिन ललितासहस्त्रनाम या फिर ललितात्रिशती का पाठ करना उत्तम होता है. इस व्रत को करने से संतान की भी प्राप्ति होती है. संतान की सुरक्षा के लिए भी ललिता पंचमी व्रत रखा जाता है. धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है.


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