गुरु गोविंद सिंह के 553 जयंती के मौके पर हांडी साहब गुरुद्वारा पहुंचे बड़ी संख्या में श्रद्धालु
दानापुर स्थित हांडी साहब गुरुद्वारा में असम, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र समेत कई राज्य से श्रद्धालु संगत में माथा टेकने बड़ी संख्या में पहुंचे.
दानापुर : दानापुर स्थित हांडी साहब गुरुद्वारा में असम, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र समेत कई राज्य से श्रद्धालु संगत में माथा टेकने बड़ी संख्या में पहुंचे. दानापुर हांडी साहब गुरुद्वारा में केवल बिहार के ही नहीं बड़ी संख्या में देश के अन्य राज्यों के श्रद्धालु हर बार यहां बड़ी संख्या में आते हैं.
सिखों के धर्मगुरु गुरु नानक देव के 553वें प्रकाश पर्व को मंगलवार को सिख समुदाय के लोगों ने धूमधाम से मनाया. दानापुर के सभी गुरुद्वारों में गुरु नानक जयंती को लेकर सुबह से ही लोगों की भीड़ रही. गुरुद्वारा में गुरुवाणी के पाठ और शबद कीर्तन किया गया.
इस वजह से पड़ा इस गुरुद्वारे का नाम हांडी साहब
यहां कमेटी की तरफ से लंगर में स्टील के बर्तन का प्रयोग किया गया. लंगर में काफी संख्या में सेवादारों और लोगों ने हिस्सा लिया और प्रसाद ग्रहण किया. बताया जाता है कि दानापुर गुरुद्वारा हांडी साहिब से गुरु तेग बहादुर अप्रैल 1670 में अपने परिवार को पटना में छोड़कर पंजाब लौट आए थे. पटना साहिब से निकलने के बाद परिवार ने यहां पहला पड़ाव रखा. जमानी माई नाम की एक बूढ़ी औरत ने उन्हें खिचड़ी की एक केतली (हांडी) परोसी जिसके बाद बाद में यहां बने मंदिर का नाम हांडीवाली संगत रखा गया. जिसे अब गुरुद्वारा हांडी साहिब कहा जाता है.
पटना साहिब के बाद जबतक हांडी साहब नहीं पहुंचते लोग यात्रा रहती है अधूरी
माता जामनी माई के पुत्र मथुरा सिंह ने उस भूमि को दान कर दिया जिस पर गुरुद्वारा बनाया गया था और उनके परिवार के सदस्य अभी भी अरुण सिंह की संरक्षता में रहते हैं, जो अभी भी अपने परदादाओं को विरासत में मिली सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. सिख समुदायों का यह मानना है कि जो लोग पटना सिटी स्थित गुरुद्वारा पहुंचते हैं वह जब तक दानापुर स्थित हांडी साहिब गुरुद्वारा नहीं पहुंचते और मत्था नहीं टेकते तो उनकी मनोकामना अधूरी रह जाती है. इसी को लेकर कई सिख श्रद्धालु हांडी साहब के दरबार में पहुंचे और मत्था टेका और प्रसाद के रूप में खिचड़ी को ग्रहण किया. दानापुर हांडी साहिब गुरुद्वारा पहुंचे देश के कई हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां सच्चे मन से जो भी मत्था टेक कुछ भी मांगता है उसे मिल जाता है. इसी को लेकर हम लोग इस दरबार में पहुंचते हैं. हालांकि कई श्रद्धालु अपने पुराने मन्नत को पूरा होने पर मत्था टेकने पहुंचे थे तो कई श्रद्धालुओं ने नए मन्नत के साथ दानापुर हांडी साहिब गुरुद्वारे में मथ्था टेका. असम और लुधियाना से आए लोगों ने यहां की व्यवस्था की भी जमकर तारीफ की.
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