krishna janmashtami 2023: जन्माष्टमी एक हिन्दू त्योहार है जो भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, उनके लीलाओं का स्मरण करते हैं और उनके उपदेशों से प्रेरित होते हैं. यह एक आत्मिक अनुभव होता है जो मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है. भगवान कृष्ण के भक्तों को बता दें कि इस बार जन्माष्टमी पर भद्रा लग रहा है. आचार्य मदन मोहन जी के अनुसार इस जन्माष्टमी को भक्त भद्रा की चिंता छोड़ कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद लें. रोहिणी नक्षत्र में अगर आप व्रत करते हैं तो भगवान कृष्ण आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


6 तारीख को रखा जाएगा जन्माष्टमी का व्रत (Bhadra Effect On Janmashtami)
आचार्य मदन मोहन जी के अनुसार बता दें कि जन्माष्टमी पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं है. जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म 6 तारीख रोहिणी नक्षत्र में हुआ है. 6 तारीख को ही जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा. शास्त्र अनुसार 6 तारीख रात्रि 12:00 बजे रोहिणी नक्षत्र है. 7 तारीख को भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाएगास, जिसमें लोग खुशियां मनाएंगे नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की इस प्रकार की भावना रखने वाले समस्त सनातन प्रेमी 7 तारीख को बड़े ही धूमधाम से भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाएं.


जन्माष्टमी का उत्सव मानसिक और आत्मिक दृष्टि से पहुंचाएगा लाभ (Krishna Janmashtami 2023)
आचार्य ने कहा कि भद्रा की चिंता को छोड़ना मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. जन्माष्टमी पर भद्रा को लेकर कई लोग चिंता और स्ट्रेस के कारण तनाव, उदासी, और शारीरिक समस्याओं से घिरे हुए है. यदि आप भद्रा की चिंता को छोड़कर जन्माष्टमी के उत्सव को मनाते हैं, तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने का काम करेगा और आपको खुश और सुखमय की अनुभूती होगी.  साथ ही उन्होंने कहा कि सभी भक्त भद्रा की चिंता को छोड़कर जन्माष्टमी के उत्सव को धूम धाम के साथ मनाएं. इसका कोई निर्दिष्ट भौतिक प्रभाव नहीं होता है. जन्माष्टमी का उत्सव आपके मानसिक और आत्मिक दृष्टि से आपको लाभ पहुंचा सकता है.


ये भी पढ़िए- Boogie Woogie show की 'Jaya Kishori' डांस को छोड़ कैसे बन गई कथावाचक, इस Viral Video में देखे उनके डांस की एक झलक