Ujiarpur Loksabha Seat: बिहार का उजियारपुर लोकसभा सीट चर्चा के केंद्र में रहा है. खासकर 2019 के बाद से इस सीट को कुछ ज्यादा ही पहचान मिली है. इसकी वजह है यह सीट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 2014 में जीती थी और वह अभी भाजपा के प्रमुख चेहरे के तौर पर बिहार की राजनीति में उभरकर आए हैं. हालांकि 2019 में नित्यानंद राय ने RLSP के उपेंद्र कुशवाहा को मात दी थी. आपको बता दें कि यह सीट 2009 में समस्तीपुर जिले में रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र के के विलोपन के बाद अस्तित्व में आया. इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद राजद और जदयू के बीच यहां मुकाबला हुआ था और तब बाजी जदयू ने जीती थी. 


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बता दें कि इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत उजियारपुर, विभूतिपुर, सरायरंजन, मोरवा, मोहिउद्दीननगर और पातेपुर 6 विधानसभा सीटें पड़ती हैं.  बता दें कि इस सीट पर कुशवाहा और यादवों का दबदबा रहा है. यही वजह है कि भाजपा ने नित्यानंद राय को इस सीट से लगातार दो बार चुनाव मैदान में उतारा और वह दोनों बार सफल रहे. वहीं इस लोकसभा सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम दोनों के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में होता हैं.   यहां अति पिछड़ी जाति के लोग भी बड़ी संख्या में हैं. 


इस सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा हमेशा से जुड़ी रही है और नित्यानंद राय की जीत के बाद से तो यहां भाजपा जमकर मुकाबले के लिए तैयार रहती है. यहां कुल मतदाता की संख्या 16 लाख के करीब है जिसमें से 8.5 लाख के करीब पुरुष और 7.5 लाख के आसपास महिला मतदाता है. थर्ड जेंडरे की संख्या भी यहां 51 के करीब है. 


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बता दें कि नित्यानंद राय तब पहली बार चर्चा में आए जब बिहार में तत्कालीन सरकार के ऐलान के बाद भी लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को सकुशल इन्होंने हाजीपुर से पार करा दिया था. वह तीन बार बिहार विधानसभा के लिए भी चुने गए. 2009 में परिसीमन के बाद जब उजियारपुर लोकसभा सीट बना तो यहां से जदयू ने बाजी मारी थी लेकिन 2014 में भाजपा ने यहां अपना सिक्का जमाया और नित्यानंद राय को लोगों ने चुनकर लोकसभा तक भेजा. 


इस लोकसभा क्षेत्र के बारे में बता दें कि 2009 तक यह लोकसभा तो छोड़िए विधानसभा क्षेत्र भी नहीं था. 2009 से पहले उजियारपुर दलसिंहसराय विधानसबा क्षेत्र का हिस्सा था. 2009 में एक साथ इसे लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र बनाया गया.