पटनाः Makar Sankranti 2023 Til Snan: मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण में प्रवेश करते हैं. ज्योतिष के आधार पर देखें तो इस दिन वह अपने पुत्र शनि के घर मकर राशि में आते हैं. इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति की पूजा में काले तिल का खास महत्व है. इस दिन तिल से ही सूर्य देव की पूजा की जाती है. भगवान शिव को भी तिल अर्पित किया जाता है तो साथ ही तिल-गुण का प्रसाद भी इसी दिन खाया जाता है. कई स्थानों पर लोग जल में तिल डाल कर स्नान भी करते हैं. 


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इसलिए करते हैं संक्रांति के दिन तिल मिले जल से स्नान
सनातन परंपरा में तिल का खास महत्व है. इसे पितृ पूजा और तर्पण में तो प्रयोग किया ही जाता है. साथ ही मकर संक्रांति वाले दिन जब सूर्य पूजा और आचमन किया जाता है तो तिल की मौजूदगी इस आचमन के जल में भी रहती है. कहते हैं कि संक्रांति के बाद से ही दिन तिल की तरह बढ़ता जाता है और रातें छोटी होने लगती हैं. तिल की पवित्रता का कारण यह है कि इसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु से मानी गई है. जिस तरह देवी गंगा श्रीहरि के चरणों से निकली हैं, उसी तरह तिल भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार में उनके शरीर से टपका पसीना है. यह जब जमीन पर गिरा तो तिल बन गया. यही वजह है कि संक्रांति के दिन लोग तिल का उपाय करते हैं. जल में डालकर स्नान करते हैं. तिल में जल से स्नान करने से गंगा स्नान जैसा पुण्य मिलता है. 


तिल से करने वाले उपाय
मकर संक्रांति के दिन स्नान वाले पानी में थोड़े से तिल डाल लें. इस पानी से नहाने से ग्रह दोष से निजात मिल जाती है. इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना शुभ माना जाता है. एक पौराणिक कथा भी है इस बारे में. कहते हैं कि 'शनिदेव ने अपने पिता क्रोधित सूर्य देव को शांत करने के लिए काले तिल से उनकी स्तुति की थी. ऐसे में सूर्यदेव ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा था कि वह जब मकर राशि में आएंगे, तो पूजा में तिल का इस्तेमाल करने से शनि दोष से मुक्ति मिल जाएगी. इसलिए मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना शुभ माना जाता है. नजर दोष से बचने के साथ अच्छे स्वास्थ्य के लिए काले तिल लेकर अपने ऊपर से उतारकर जल में प्रवाहित कर दें. ऐसा करने से बुरी नजर उतर जाती है.