पटनाः बिहार में मंडी व्यवस्था फिर से शुरू होने जा रही है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने डेढ़ दशक पहले खत्म कर दिये गये बिहार एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी, एपीएमसी एक्ट यानी कृषि बाजार समिति एक्ट को पुनर्जीवित करने के लिए पीत पत्र लिखा है. कृषि मंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम प्रस्ताव तैयार करा रही है. मंत्री की मंशा है कि जल्द-से-जल्द कैबिनेट की मंजूरी ले ली जाये कुछ संशोधनों के साथ इसे लागू कराने के लिए कृषि विशेषज्ञों से रायशुमारी की जा रही है.


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सीएम का फैसला ही होगा अंतिम 
मंत्री के बयान पर कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कृषि मंत्री के इस बयान पर कहा कि मुख्यमंत्री इसके बारे में जो कहेंगे वही अंतिम फैसला होगा. गठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री के निर्णय के साथ हम हमेशा रहे हैं. कृषि मंत्री के बयान देने से नहीं होगा मुख्यमंत्री का स्तर पर अगर ऐसा फैसला होता है तो स्वागत है सरकार में शामिल किसी भी मंत्री को बयान देने पर परहेज करना चाहिए. मंत्री जो होते हैं वह सरकार का का हिस्सा रहते हैं उनके पास कुछ सुझाव है तो मुख्यमंत्री को बदला ना चाहिए या कैबिनेट में रखना चाहिए.


JDU के विधान पार्षद खालिद अनवर ने कहा की पिछले दो वर्ष से देश में किसान आंदोलन चल रहा था देश के कई राज्यों के किसान काफी परेशान थे, जबसे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तब से उनके नेतृत्व में सरकार ने किसानों के लिए पॉलिसिया बनाई किसान और बिचौलियों का जो सिस्टम था उसको खत्म किया किसानों का भला कैसे हो इसको लेकर नीतीश कुमार जी हमेशा चिंतन करते रहते हैं. बिहार का किसान नीतीश कुमार से जितना खुश है इसका मैसेज पूरे देश में जाएगा. किसानों का पूरी हिमायत पूरा सपोर्ट नीतीश कुमार जी को हासिल है इससे भी अच्छा अगर कदम किसानों के लिए होगा तो मुख्यमंत्री जी उठाएंगे.


बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा मंडी व्यवस्था को 2006 में पूरी तरह से नीतीश कुमार ने खत्म किया था. मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नीति के कारण बिहार को काफी क्षति होती रही है. पहले भी मुख्यमंत्री ने यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन को समाप्त करने का काम किया और फिर बाद में बहाल किया बीजेपी ने बार-बार मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि कोई भी निर्णय लेने से पहले विचार कीजिए, लेकिन एक तरफा निर्णय के कारण बिहार को क्षति होती रही है.