पटना: बिहार में आम की पैदावार इस साल ज्यादा हो सकती है, जिसका प्रभाव इसकी कीमतों पर भी पड़ सकता है. जिस तरह से राज्य में पेड़ों पर मंजर लदे हैं, उससे लग रहा है कि राज्य में आम की पैदावार इस बार बहुत ज्यादा हो सकती है. किसान आम को बचाने के लिए तमाम कवायद भी कर रहे हैं, ताकि मंजर को नुकसान न हो सके. बिहार में वैसे तो आम की विभिन्न किस्में होती हैं लेकिन जर्दालु, गुलाब खास और दीघा मालदा बहुतायत में होती हैं. बिहार के जर्दालु आम को भारत सरकार ने जीआई टैग प्रदान किया है. भागलपुर से बिहार के जर्दालु आम का निर्यात बहरीन, बेल्जियम और इंग्लैंड जैसे देशों में किया जाता है. भागलपुर के जर्दालु आम की खासियत को देखते हुए बिहार सरकार ने आसपास के जिलों में भी इसके विस्तार का फैसला किया है. 


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बिहार के अलावा आम की खेती उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में अच्छे से होती है. देश में आम की खेती 2316.81 हजार हेक्टेयर तो बिहार में यह 160.24 हजार हेक्टेयर में की जाती है. देश में आम की पैदावार 20385.99 हजार टन तो बिहार में यह 1549.97 हजार टन होता है. बिहार में आम उत्पादकता 9.67 टन प्रति हेक्टेयर है, जो देश की उत्पादकता से ज्यादा है, लेकिन 27 राज्यों में इसका नंबर 13वां आता है. 


भागलपुर के किसानों का कहना है कि पिछले 3 साल से आम की फसल अच्छी नहीं थी. हालांकि इस बार किसानों को उम्मीद है कि आम की बंपर फसल होने वाली है अगर मंजर आंधी से बच गए तो. इस मौसम में किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती मंजरों को कीटाणुओं और गर्मी से आम को बचाने की है. 


जानकार बताते हैं कि इस बार अधिकांश बागों में मंजर आ गए हैं. इस समय कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आम जब मटर के बराबर बड़ा हो जाए, तब कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए. जानकार यह भी बताते हैं कि आम का मंजर आने से इस समय बागों में मधुमक्खी और सिरफिड मक्खी आई हुई हैं, जिन्हें हमें डिस्टर्व नहीं किया जाना चाहिए. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर अभी दवा का छिड़काव किया गया तो मधु​मक्खियां बाग से बाहर भाग जाएंगी.


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