पटना : बिहार में सरकार की तरफ से जातिगत जनगणना के लिए पूरी व्यवस्था तैयार कर दी गई है. आपको बता दें कि इस जातिगत जनगणना के लिए सरकार की तरफ से 500 करोड़ रुपए की रकम रखी गई है. वहीं इस जनगणना को लेकर सियासत भी खूब तेज है. बिहार में विपक्षी पार्टी भाजपा इसे जाति के आधार पर समाज को बांटने की कोशिश बता रही है तो वहीं राज्य सरकार के मंत्री और नेताओं का कहना है कि इसके आधार पर लोगों को उनका समुचित लाभ मिल पाएगा. आपको बता दें कि बिहार सरकार के इस जातिगत जनगणना का पहला फेज समाप्त हो चुका है और अब इसके दूसरे फेज की तैयारी की जा रही है. बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से ऐसे में जातिगत जनगणना से पहले जातियों की सूची जारी की गई है जिसमें से कई जातियों के नाम गायब हैं तो कुछ सूची में बाल-बाल बच गए हैं. 


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15 अप्रैल से इस जनगणना का अगला चरण शुरू होगा. इसमें सभी से उनकी जाति पूछी जाएगी और जाति के आदार पर कोड लिखा जाएगा. मतलब अब बिहार में सभी जाति के लोग जाति के नाम से नहीं बल्कि नंबर से पहचाने जाएंगे. बता दें कि बिहार सरकार की तरफ से जो जाति की लिस्ट जारी की गई है. उससे अगरिया, खड़िया और मारवाड़ी को बाहर निकाल दिया गया है. हालांकि इसके साथ ही विरजिया और सेखड़ा जाति को इसमें शामिल जरूर किया गया है. 


सरकार की तरफ से जो लिस्ट जारी की गई है उसमें 214 जातियां है जबकि एक अन्य के लिए नंबर है जो ट्रांसजेंडर को दर्शाएगा. हालांकि 215 नंबर पर वह भी जाति आएगी जो इस 214 की सूची में शामिल नहीं है, उसके लिए पर्याप्त दस्तावेज दिखाने होंगे. 


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बता दें कि इससे पहले दर्जी उपनाम की लिस्ट में जिसका जाति कोड-206 था श्रीवास्तव, लाला और लाल डाले गए थे. अब इस सूची में इस संख्या क्रम पर बदलाव किया गया है और अब उसे सिर्फ दर्जी (हिंदू) नाम दिया गया है. बता दें कि दर्जी की सूची में इन जातियों को डालने के कारण बिहार सरकार जमकर सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी थी. इसका विरोध कायस्थ समाज भी कर रहा था. इतने के बाद बिहार सरकार ने इसमें फौरन संशोधन करवाया. तब कहीं जाकर श्रीवास्तव, लाला और लाल जो कायस्थ जाति में पहले भी थे उनकी जाति बच पाई और उनको कोड 21 में रखा गया.