Ravi Pradosh Vrat Puja: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है. इस व्रत को प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के दिन किया जाता है और इसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है. दिसंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत 10 दिसंबर को होगा और इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस व्रत का समय प्रदोष काल है, जो सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है और इससे भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं.


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प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में की जाती है और इसमें शिवलिंग का अभिषेक घी, शहद दूध, दही और गंगाजल से किया जाता है. इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, कनेर के फूल और भांग चढ़ाए जाते हैं. इस दिन भगवान शिव को घी, शक्कर और गेहूं के आटे से बना भोग अर्पित करने से घर में खुशहाली बनी रहती है. प्रदोष व्रत के दिन एक अच्छी प्रथा है कि कोई जरूरतमंद व्यक्ति को दूध, शक्कर, सफेद वस्त्र और दही का दान करें. इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. प्रदोष काल में शिव मंदिर में जाकर शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से भी शिव जी की कृपा बरसती है.


प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर दूध, धतूरा, आक, गंगाजल, चंदन, अक्षत और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. इससे महादेव प्रसन्न होकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर यह चीजें अर्पित करने से आर्थिक लाभ भी होता है. अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो भी प्रदोष व्रत के दिन के उपाय कारगर माने जाते हैं. इस दिन सफेद वस्त्र धारण कर भोलेनाथ की पूजा करें और अपने माथे पर चंदन का तिलक लगाएं. इससे चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और मन शांत रहता है.


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