Moon & Sun Anthem: भारत के द्वारा चांद पर भेजे गए चंद्रयान 3 की सफलता ने भले अब शोर मचाना शुरू किया है. लेकिन, अपना चंदा मामा कैसा है यह तो पहले ही बिहार की धरती पर पैदा हुए विदेश सेवा के अधिकारी अभय कुमार ने कलमबद्ध कर दिया था. मून एंथम के जरिए चंद्रमा का ऐसा खाका उन्होंने खींचा जो चांद पर हमारे यान के पहुंचने से पहले ही हमें वहां की सारी बातों से रू-ब-रू करा रहा था. 


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मेडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो की धरती पर लिखे अभय कुमार के इस मून एंथम ने चंद्रयान 3 की सफलता के बाद ऐसा शोर मचाया कि यह थमने का नाम ही नहीं ले रहा. उन्होंने पहले ही चंद्रमा को आकाशीय हीरा, प्राचीन घड़ी, ब्रहांड का लैम्पपोस्ट, रात का कोमल चुंबन, महासागरों को सम्मोहित करनेवाला, सूर्य को ढकनेवाला, स्वर्ग को रोशन करनेवाली चांदी की देवी, और ना जाने कितनी ही ऐसी अनोखी संज्ञा दी जिसे पढ़कर कौन चांद के बार में जानने से अपने आप को रोक पाएगा.


यह तो कुछ खास नहीं है अभय कुमार के बारे में, वह तो सौरमंडल के लगभग सभी ग्रहों पर एंथम लिख चुके हैं. उनके लिखे 'अर्थ एंथम' की धूम तो आप हमेशा सुन सकते हैं. इसे 150 से ज्यादा भाषाओं में अनुवादित किया गया. अभय कुमार के 'अर्थ एंथम' को संगीतबद्ध भी किया गया और इसे संगीत से सजाया प्रसिद्ध संगीतकार डॉ एल सुब्रमण्यम ने इसे कविता कृष्णामूर्ति ने अपनी आवाज से और जादुई बना दिया. बिहार के राजगीर में जन्मे इस लाल का यह कमाल सौर मिशन के रवाना होने के बाद से एक बार फिर चर्चा में है. उनका लिखा सन एंथम भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है. वह जितना एक राजनयिक के रूप में प्रसिद्धि पा चुके हैं उनके शब्दों की जादुगरी ने भी उन्हें एक कवि के रूप में उतनी ही ज्यादा पहचान दिलाई है. 2007 में प्रकाशित उनकी पहली किताब रिवर वैली टू सिलिकॉन वैली आज भी उनके लिखे संस्मरण के जरिए लोगों की यादों में विराजता है.


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मेडागास्कर में ही उन्हें मून एंथम लिखने की प्रेरणा मिली. जहां वह विदेश सेवा अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे. उन्हें इस बात की खुशी है कि इसरो इतने कम बजट में स्पेस में अपनी एक खास पहचान बना रहा है. वह इसरो को उसकी सफलता के लिए बधाई देते हुए कहते हैं कि यही क्रम हमारे वैज्ञानिक जारी रखेंगे और भारत एक दिन अंतरिक्ष में सर्वोपरि होगा. वह मानते हैं कि यह भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में बढ़ता कदम है. 


वह कहते हैं कि मैं अच्छा कुटनीतिज्ञ हो सकता हूं क्योंकि एक कवि होने के नाते मेरा जुड़ाव लोगों से बेहतर है और मैं लोगों को गहराई तक जाकर समझ सकता हूं, जो गुण एक कुटनीतिज्ञ के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में मेरा कवि होना मेरे अच्छे कुटनीतिज्ञ होने का सफल पायदान है, जिसपर पैर रखकर ही मैं वहां तक पहुंच पाऊंगा. वह कविता और कुटनीति में कई सारी समानता पाते हैं. 


बिहार में जन्मे इस अधिकारी का कहना है कि बिहार तो पहले से ही आर्यभट्ट से लेकर वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे कर्मयोद्धाओं की भूमि रहा है. यहां मेहनतकश लोगों की कोई कमी नहीं है. बिहार के लोगों के पास विजन है. ऐसे में बिहार के लोग हर मिशन में आपको मौजूद मिलेंगे. उन्होंने The Book of Bihari Literature का संपादन किया है जिसमें बिहार की 10 भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं का अंग्रेजी अनुवाद है. ये किताब नेशनल बेस्ट सेलर रही है. उन्होंने कहा कि जब गगनयान लॉन्च होगा तो वादा है कि उसपर भी वह एंथम लिखेंगे. उनके द्वारा लिखे गए सूर्य गान को आप यहां पढ़ सकते हैं. 



बता दें कि अभय कुमार को सबसे कम उम्र के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी होने का गौरव प्राप्त है. वह (2003 आईएफएस बैच) के अधिकारी हैं और उनका जन्म बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में हुआ था. 2003 में इस परीक्षा में उन्हें पूरे भारत में 71वीं रैंक मिली और भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश किया. केवल 38 साल की उम्र में मेडागास्कर में राजदूत के रूप में नियुक्त होनेवाले वह अब तक के सबसे कम उम्र के विदेश सेवा अधिकारी हैं.