पटना: Sugauli treaty: नेपाल में हो रहे आम चुनाव में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सुगौली संधि को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है. एक इंटरव्यू के दौरान नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली ने विवादित बयान देकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का पूरा प्रयास किया है. केपी शर्मा ओली ने अपने बयान में कहा है कि भारत के कालापानी , लिपुलेख और लिम्पियाधुरा भूभाग नेपाल का हिस्सा है. चुनाव जीतने के बाद कूटनीतिज्ञ तरीके से भारत से ये तीनो भूभाग वापस लेंगे. ये कोई बस चुनावी स्टंट नही है. ये भूभाग नेपाल के हैं इसके प्रमाण हमारे पास है.


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भारत के तीन हिस्सों को नेपाल में शामिल करेंगे 
बता दें कि आगामी 20 नवम्बर को नेपाल में केंद्रीय सदस्य एवं प्रतिनिधि सभा का चुनाव होना है. चुनाव में अपनी पार्टी की स्थित को डगमगाता देख ओली ने चुनावी फायदे के लिए चुनावी में सुगौली संधि का मुद्दा उठाकर राष्ट्र प्रेम दिखाने की कोशिश की है. ओली के ऐसे वक्तव्य के बाद ऐसा लगने लगा है की ओली के चुनाव प्रबंधन के पीछे चीनी एजेंट के शामिल हो सकते है. ओली ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच यह विवाद काफी पुराना है जिसके कारण 2 दिसंबर 1815 को दोनों देशों के बीच सुगौली संधि हुई. यह सीमा विवाद तब भी हल नहीं हो सका था.


लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी विवाद क्या है
बता दें कि नेपाल भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत की तीन दिशा पूरब, पश्चिम और दक्षिण से घिरा हुआ है. लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल अपना हिस्सा मानता है और कहता है कि भारत ने जबरन उस पर कब्जा किया है. ये तीनों हिस्से नेपाल के है, चुकी महाकाली नदी लिम्पियाधुरा से निकलती है, इसलिए लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल का हिस्सा है. वहीं दूसरी तरफ भारत का दावा है कि महाकाली नदी भारत के कालापानी गांव (उत्तराखंड) से निकलती है, इसलिए ये भारत का हिस्सा है. 


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