अब बाल विवाह और दहेज जैसे गंभीर मुद्दों पर एक्शन लेंगे मुखिया और वार्ड सदस्य, आदेश जारी
स्वच्छता अभियान के बाद अब बाल विवाह, दहेज प्रथा उन्मूलन की शिकायतें मुखिया और वार्ड सदस्य के कंधों पर डाल दी गई है. दहेज लेने देने की शिकायत से लेकर बाल विवाह पर मुखिया और वार्ड सदस्य एक्शन लेंगे.
पटना : स्वच्छता अभियान के बाद अब बाल विवाह, दहेज प्रथा उन्मूलन की शिकायतें मुखिया और वार्ड सदस्य के कंधों पर डाल दी गई है. दहेज लेने देने की शिकायत से लेकर बाल विवाह पर मुखिया और वार्ड सदस्य एक्शन लेंगे. इसके साथ ही आदेश की मानें तो इसपर अच्छा काम करने वाले जनप्रतिनिधियों को सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया जाएगा. इस बाबत पंचायती राज विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है.
बाल विवाह एवं दहेज प्रथा जैसे गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए जारी हुआ आदेश
बता दें बाल विवाह एवं दहेज उन्मुलन में मुखिया एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी एवं भूमिका तय होगी. मुख्यमंत्री बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया है. बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 22 (XX) एवं धारा 47 (20) के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है.
मुखिया और वार्ड सदस्यों को दी गई यह जिम्मेदारी
नियमावली, 2010 के नियम-9 (1) में भी ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चिन्हित किया गया है. अधिनियम की धारा-156 के अधीन प्राप्त शक्तियों के आलोक में राज्य सरकार बाल विवाह प्रतिषेध एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के बिन्दु पर पंचायतों एवं उनके प्रतिनिधियों के लिए निम्नलिखित निर्देश निर्गत करती है. आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर मुखिया द्वारा इसकी त्वरित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) तथा अनुमंडल पदाधिकारी (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देते हुए बाल विवाह को रूकवाने का काम करेंगे.
यहीं नहीं दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी (दहेज प्रतिषेध पदाधिकारी) को सूचित करते हुए कार्रवाई से अवगत कराएंगे. आदेश में कहा गया है कि बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है. विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है. पंचायत क्षेत्र अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया एवं पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा. विवाहों को पंजीकृत करने से बाल विवाह के मामलों में अंकुश लगाया जा सकता है.
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जबकि प्रत्येक ग्राम सभा एवं वार्ड सभा की बैठक में एजेंडे में बाल विवाह प्रतिषेध एवं दहेज उन्मूलन का बिन्दु अवश्य सम्मिलित किया जायेगा तथा बैठकों में बाल विवाह एवं दहेज से होने वाली हानियों और दुष्प्रभावों की चर्चा की जाएगी ताकि आमजन इस विषय पर संवेदनशील बने रह सकें. पंचायत समिति एवं जिला परिषद की सामान्य बैठकों में भी इन विषयों पर चर्चा की जायेगी एवं अभियान को सफल बनाने हेतु रणनीति बनायी जायेगी. ग्राम पंचायत,पंचायत समिति, जिला परिषद की सामाजिक न्याय समिति भी बाल विवाह प्रतिषेध एवं दहेज उन्मूलन के बिन्दु पर अपनी बैठकों में चर्चा करेगी और अभियान को सफल बनाने हेतु ग्राम पंचायत को अपनी अनुशंसाएं देगी.
ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल विवाह का मामला प्रकाश पर मुखिया के खिलाफ होगी कार्रवाई
बाल विवाह होने की संभावना की सूचना प्राप्त होते ही वार्ड सदस्य, मुखिया संबंधित परिवार के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझायेंगे और ऐसा न करने की सलाह देंगे. नहीं मानने पर स्थानीय थाना एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (प्रखंड विकास पदाधिकारी/अनुमंडल पदाधिकारी) को तुरंत सूचना देंगे और विवाह रूकवाने में उनका सहयोग करेंगे. ऐसे अवसर या कार्याधिकार क्षेत्र को कोई स्थान विशेष जहां बाल विवाह अधिष्ठापन की कोई परंपरा अथवा सूचना हो, तो मुखिया जिला पदाधिकारी, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के सहयोग से निषेधाज्ञा लगवाने व अनुष्ठापन रोकने में सहयोग देंगे. ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल विवाह का मामला प्रकाश में आने की स्थिति में संबंधित वार्ड सदस्य एवं मुखिया जिम्मेवार माने जायेंगे एवं अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार द्वारा की जा सकती है. सामाजिक मुद्दों पर मुखिया एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के स्तर पर की गई कार्रवाई और पहल को उनके समग्र कार्य मूल्यांकन में शामिल किया जायेगा एवं राज्य,जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर ऐसे प्रतिनिधियों को सम्मानित किया जायेगा.