Old Pension Scheme: ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर देश भर से मांग तेज हो गई है. केंद्रीय कर्मचारियों की तरफ से भी इस मांग को उठाया जा रहा है. बता दें कि 5 राज्य सरकारों पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार ने एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना को राज्य में बहाल करने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि इन सारे राज्यों में सरकार महागठबंधन, कांग्रेस या आप की है. मतलब इनमें से एक भी राज्य में NDA की सरकार नहीं है. ऐसे में बिहार में भी अब पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का सरकार पर दवाब बढ़ रहा है. आपको बता दें कि राजद के साथ गठबंधन में यहां नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं और राजद के चुनावी घोषणापत्र में जनता से इस बात का वादा किया गया था ऐसे में वहां भी अब पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग ने तेजी पकड़ ली है. 


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इसके साथ ही भाजपा शासित प्रदेशों में भी इसकी मांग ने जोर पकड़ लिया है. दरअसल ऐसा क्यों हुआ है इसके लिए आपको पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन स्कीम में अंतर को समझना होगा.  2004 में केंद्र सरकार की तरफ से नई पेंशन योजना को लागू करने का फैसला लिया गया. इसके तहत 1 जनवरी 2004 से कर्मचारियों को अब इसी योजना का लाभ मिलने लगा. पुरानी पेंशन योजना में यह व्यवस्था थी की कर्मचारियों को उसके अंतिम वेतन के आधार पर 50 प्रतिशत की राशि आजीवन पेंशन के रूप में भुगतान होता था. जिसके लिए टैक्सपेयर्स के पैसे का उपयोग सरकार की तरफ से कर्मचारियों को पेंशन देने में किया जाता था और इसकी वजह से केंद्र और राज्य की सरकारों पर वित्त का अतिरिक्त बोझ पड़ता था. 


नई पेंशन व्यवस्था में इससे अलग सरकार और कर्मचारी दोनों ही इसमें अपनी तरफ से योगदान देते हैं और इस पैसे को मार्केट में लगाया जाता है. ऐसे में यह पेंशन व्यवस्था पूर्णतया बाजार आधारित है और इसका अतिरिक्त भार 
सरकार के ऊपर नहीं पड़ता है लेकिन इस व्यवस्था की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कर्मचारी को कितना पेंशन मिलेगा इसका अनुमान वह नहीं लगा सकते क्योंकि बाजार के आधार पर उनके पेंशन का निर्धारण होता है. ऐसे में कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने पर जोर दे रहे हैं. आपको बता दें कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश और कर्नाटक की सरकारों पर भी इसे लागू करने के लिए दवाब बढ़ रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार पर भी इसको लेकर ज्यादा प्रेशर है. ऐसे में केंद्रीय कर्मचारियों  जिन्होंने  31 दिसंबर 2003 से पहले नौकरी ज्वाइन कर ली है उसे केंद्र सरकार ने वन टाइम इसे चुनने का अधिकार दिया है. हालांकि इसके बाद भी सरकार पर प्रशर बनाया जा रहा है कि अन्य कर्मचारियों के लिए भी यह व्यवस्था लागू हो. 


बता दें कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है वह पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के मुड में नहीं है लेकिन सरकार पर बढ़ते प्रेशर के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई पेंशन योजना में ही कुछ जरूरी सुधार की गुंजाइश पर बल दिया है और इसके लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन कर इसकी समीक्षा करने को कहा गया है. बता दें कि आंध्र प्रदेश में जो नई पेंशन व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को पेंशन मिल रहा है सरकार उस मॉडल को ध्यान में रखकर समीक्षा करने के मुड में हैं. ऐसे में आपको बताते हैं कि आंध्र प्रदेश का पेंशन मॉडल आखिर है क्या. आंध्र प्रदेश सरकार नई पेंशन योजना में कर्मचारियों और सरकार का बराबर योगदान तो ले रही है जिसकी वजह से सरकार को इसका वित्तीय बोझ नहीं पड़ रहा है. इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों से योगदान लेने का प्रस्ताव है के साथ उनके सेवामुक्त होने पर वेतन का 33 प्रतिशत पेंशन देने की योजना है. केंद्र सरकार इसी वजह से इस मॉडल की समीक्षा करनेवाली है. ताकि केंद्रीय कर्मचारियों को भी NPS के तहत OPS का फायदा मिल सके और अन्य राज्य भी इसी व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को पेंशन दे सके.    


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