पटना: बिहार का मदरसा बोर्ड इन दिनों अपने पाठ्यक्रम को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है.  एनसीपीसीआर के द्वारा मदरसा बोर्ड लगाए आरोपों के बाद देश भर में एक गंभीर बहस शुरू हो गई है. दरअसल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों में कट्टरपंथी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने को लेकर चिंता जाहिर की है. इसके अलावा मदरसों में पाकिस्तान की किताबें पढ़ाई जाने की बात भी सामने रही है. वहीं एनसीपीसीआर ने मदरसा में हिंदू बच्चों के दाखिले को लेकर भी सवाल उठाए हैं.


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दरअसल बिहार के इन मदरसों नें 'तालिमुल-इस्लाम' नाम की पुस्तक से पढ़ाई की जाती है. इस किताब में गैर-मुस्लिमों को काफिर बताया गया है. इस किताब को बिहार के मदरसों में बच्चों को बड़े पैमाने पर पढ़ाई जा रही है. वहीं, इन मदरसों में हिंदू बच्चों के दाखिला लेने की भी खबर सामने आई है.



प्रियंक कानूनगो ने बिहार के इन मदरसों में दाखिल हिंदू बच्चों के लिए चिंता भी जताई और बिहार सरकार पर आरोप लगाया हुए कहा कि ऐसे छात्रों की संख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े छिपा रही है. वहीं हिंदू बच्चों को मदरसों से स्कूल में स्थान्तरित करने के सवाल पर बिहार मदरसा बोर्ड ने बताया कि मदरसे का पाठ्यक्रम यूनिसेफ इंडिया ने तैयार किया है.


प्रियंक कानूनगो ने आगे लिखा कि यह यूनिसेफ इंडिया व मदरसा बोर्ड द्वारा  किए जा रहे तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है.बच्चों के संरक्षण के नाम पर दान में मिले और सरकारों से ग्रांट मिले पैसे से कट्टरवादी पाठ्यक्रम बनाना यूनिसेफ़ का काम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रिस्क्राइब्ड पाठ्यक्रम में शामिल अनेक किताबें पाकिस्तान में छपवाई जाती हैं,इनके कांटेंट पर शोध जारी है. मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की बुनियादी शिक्षा का स्थान नहीं है,बच्चों को स्कूल में पढ़ना चाहिए और हिंदू बच्चों को तो मदरसों में होना ही नहीं चाहिए, मदरसा बोर्ड भंग कर देने चाहिए.


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