Patna: बिहार में जारी कोरोना महामारी को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने शनिवार को राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि सूबे में रैपिड एंटीजन टेस्ट (रैट) की संख्या में कितना इजाफा हुआ?


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इसके साथ ही हाई कोर्ट (Patna High Court) ने सरकार से पूछा कि आईसीएमआर गाइडलाइन (ICMR Guideline) के मुताबिक बिहार में स्कूल, कॉलेज, कम्युनिटी संस्थानों में 24x7 काम करने वाली रैपिड एंटीजन टेस्ट की कितनी बूथ हैं.


चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) व जस्टिस एस कुमार (S Kumar) की खंडपीठ ने पूर्व में पारित एक आदेश के जरिए राज्य सरकार को एंटीजन टेस्ट के सिलसिले में 17 मई तक जवाब देने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने एंटीजन टेस्ट के लिए नए बूथ बनाकर कोरोना जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.


राज्य सरकार की ओर से बिहार के मुख्य सचिव ने 9 मई को हलफनामा पर कोर्ट में जवाब दिया था. उक्त जवाब में यह दर्शाया गया था कि राज्य में जिलेवार कितने  आरटी पीसीआर टेस्ट हुए थे. 
इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सूबे में किये गए रैपिड एंटीजन टेस्ट के बारे में भी सटीक जानकारी दें. इस मामले पर भी 17 मई को अगली सुनवाई होनी है.


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इसके अलावा, कोरोना को लेकर अपनी एक अन्य टिप्पणी में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने शनिवार को कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में जरूरतमंदों को समय पर उपचार न दे पाना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य जनहित मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है.